________________
चतुर्थ उद्देशक - अरण्यरक्षक को अधीन करने का प्रायश्चित्त
१०७
४१. जो भिक्षु शौर्य आदि गुण-कीर्तन द्वारा ग्राम रक्षक की प्रशंसा करता है या प्रशंसा करते हुए का अनुमोदन करता है। "
४२. जो भिक्षु ग्राम रक्षक को अपना अर्थी - सहयोगापेक्षी बनाता है या अर्थी - सहयोगापेक्षी बनाते हुए का अनुमोदन करता है। __ ऐसा करने वाले भिक्षु को लघु मासिक प्रायश्चित्त आता है।
सीमारक्षक को वश में करने का प्रायश्चित्त जे भिक्खू सीमारक्खियं अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइजइ॥४३॥ जे भिक्खू सीमारक्खियं अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइजइ॥ ४४॥ जे भिक्ख सीमारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ॥४५॥ कठिन शब्दार्थ - ‘सीमारक्खियं - सीमा रक्षक।
भावार्थ - ४३. जो भिक्षु सीमारक्षक को अपने वश में करता है या वश में करते हुए का अनुमोदन करता है।
४४. जो भिक्षु शौर्य आदि गुण कीर्तन द्वारा सीमारक्षक की प्रशंसा करता है या प्रशंसा करते हुए का अनुमोदन करता है।
४५. जो भिक्षु सीमारक्षक को अपना अर्थी - सहयोगापेक्षी बनाता है या सहयोगापेक्षी बनाते हुए का अनुमोदन करता है। ... .... ऐसा करने वाले भिक्षु को लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है।
अरण्यरक्षक को अधीन करने का प्रायश्चित्त जे भिक्खू रण्णारक्खियं अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ॥ ४६॥ - जे भिक्खू रण्णारक्खियं अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइजइ॥४७॥
जे भिक्ख रण्णारक्खियं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइजइ॥४८॥ कठिन शब्दार्थ - रण्णारक्खियं - अरण्यरक्षक - वन का रक्षक।
४६. जो भिक्षु अरण्यरक्षक को मन्त्रादि प्रयोग द्वारा अपने अधीन करता है या अधीन करते हुए का अनुमोदन करता है। ..
का रक्षका .
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org