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प्रथम अध्ययन - जन्मोत्सव
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जन्मोत्सव -तएणं से अदीणसत्तू राया कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! हत्थिसीसं णयरं आसिय जाव परिगयं करेह करित्ता चारगपरिसोहणं करेह, करित्ता माणुम्माणवद्धणं करेह, करित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति।
तएणं से अदीणसत्तू राया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी - 'गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! हथिसीसे णयरे अन्भिंतर बाहिरिए उस्सुक्कं उक्करं अभडप्पवेसं अडडिमं कुडंडिमं अधरिमं अधारणिज्जं अणुद्धयमुइंगं अमिलायमल्लदामं गणियावरणाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरियं पमुइयपक्कीलियाभिरामं जहारिहं ठिइवडियं दसदिवसियं करेह, करित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। ते वि करेंति, करित्ता तहेव पच्चप्पिणंति॥१६४॥
— कठिन शब्दार्थ - चारगपरिसोहणं करेह - कैदियों को कैदखाने से छोड़ दो, माणुम्माणवद्धणं करेह - नापने और तोलने के परिमाण में वृद्धि करो, सेणिप्पसेणीओ - श्रेणि और प्रश्रेणि अर्थात् जातियों और उपजातियों को, उस्सुक्कं - चुंगी, उक्करं - कर, अभडप्पवेसं - राजा का कोई पुरुष जनता को संताप न दे, अडेंडिमं - दण्ड न दे, कुडंडिमंकुदण्ड न दे, अधरिमं - कर्जा मांगने वाले कोई किसी के घर पर तगादा न करे, अधारणिज्जंधरना न दे, अणुद्धयमुइंगं - निरन्तर मृदङ्ग बाजा बजाया जाय, अमिलायमल्लदामं - ताजी फूलमालाओं से, गणियावरणाडइज्जकलियं - उत्तम गणिकाओं का नृत्य कराओ, अणेगतालायराणुचरियं - बहुत से ताल बजा कर नाटक करने वालों से, पमुइयपक्कीलियाभिरामं - प्रमोद और क्रीड़ा करने वालों से नगर सुशोभित करो, ठिइवडियं- कुल की मर्यादा के अनुसार।
भावार्थ - तदनन्तर उस अदीनशत्रु राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों (सेवकों) को बुला कर इस प्रकार कहा कि - हे देवानुप्रियो! हस्तिशीर्ष नगर को शीघ्र साफ करो यावत् छिड़काव करो। कैदियों को कैदखाने में छोड़ दो। मापने और तोलने के परिमाण में वृद्धि करो। यह सब कार्य करके यह मेरी आज्ञा मुझे वापिस सौंपो अर्थात् मुझे सूचित करो। सेवकों ने राजा की आज्ञानुसार कार्य करके उसे सूचित किया। '
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