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प्रथम अध्ययन - गर्भ की सुरक्षा
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विवेचन - स्वप्नपाठकों से उपरोक्त अर्थ को सुनकर अदीनशत्रु राजा बहुत खुश हुआ। वस्त्र, फूलमाला, आभरण आदि से उनका सत्कार सम्मान करके तथा बहुत-सा धन देकर उन्हें विदा किया।
तएणं से अदीणसत्तू राया सीहासणाओ अब्भुढेइ, अन्भुट्टित्ता जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धारिणी देवीं एवं वयासी, एवं खलु देवाणुप्पिए! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा जाव एगं महासुमिणं जाव भुज्जो भुज्जो अणुबूहइ॥११॥
भावार्थ - इसके पश्चात् वह अदीनशत्रु राजा सिंहासन से उठा, उठ कर जहां धारिणी रानी थी वहां पर आया, आकर धारिणी रानी को इस प्रकार कहने लगा कि हे देवानुप्रिये! स्वप्न शास्त्र में बयालीस स्वप्न और तीस महास्वप्न हैं यावत् तुमने एक महास्वप्न देखा है अतः तुम्हारे एक पुत्र का जन्म होगा। इस प्रकार राजा बार-बार कहने लगा।
विवेचन - स्वप्नपाठकों को विदा करके राजा रानी के पास आया। उसने स्वप्नपाठकों द्वारा कहा हुआ स्वप्न का अर्थ रानी को कह सुनाया और कहा कि तुम्हारी कुक्षि से एक प्रतापी पुत्र का जन्म होगा।
गर्भ की सुरक्षा .. तएणं सा धारिणी देवी अदीणसत्तुस्स रण्णो अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म
हट्टतुट्ठ जाव हियया तं सुमिणं सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता सयं भवणमणुप्पविट्ठा। तएणं सा धारिणी देवी ण्हाया कयबलिकम्मा जाव सव्वालंकार-विभूसिया। तं गब्भं णाइसीएहिं णाइउण्हेहिं णाइतित्तेहिं णाइकडुएहिं णाइकसाएहिं णाइअंबिलेहिं णाइमहुरेहिं उउभूयमाणसुहेहिं भोयणच्छायणगंधमल्लेहिं जं तस्स गन्भस्स हियं मियं पत्थं गन्भपोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिक्कसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वोच्छिण्णदोहला ववणीयदोहला ववगयरोगमोहभयपरित्तासा तं गन्भं सुहंसुहेणं परिवहइ॥१९२॥
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