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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध
अभग्नसेन को बुलावा तए णं से महाबले राया अण्णया कयाइ पुरिमंताले णयरे एगं महं महइमहालियं कूडागारसालं करेइ अणेगक्खंभसयसंणिविटुं पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। तए णं से महाबले राया अण्णया कयाइ पुरिमताले णयरे उस्सुक्कं जाव दसरत्तं पमोयं उग्घोसावेइ, उग्घोसावेत्ता कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुन्भे देवाणुप्पिया! सालाडवीए चोरपल्लीए तत्थ णं तुब्भे अभग्गसेणं चोरसेणावई करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! पुरिमताले णयरे महाबलस्स रण्णो उस्सुक्के जाव दसरत्ते पमोए उग्घोसिए तं किं णं देवाणुप्पिया! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं . पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारे य इहं हव्वमाणिज्जउ उदाहु सयमेव गच्छिता?
तए णं ते कोडुंबियपुरिसा महाबलस्स रणो करयल जाव पडिसुणेति पडिसुणेत्ता पुरिमतालाओ णयराओ पडि० णाइविकिठेहिं अद्धाणेहिं सुहेहिं वसहिपायरासेहिं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता अभग्गसेणं चोरसेणावई करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! पुरिमताले णयरे महाबलस्स रण्णो उस्सुक्के जाव उदाहु सयमेव गच्छित्ता? तए णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई ते कोडुंबियपुरिसे एवं धयासी-अहं णं देवाणुप्पिया! पुरिमतालणयरं सयमेव गच्छामि। ते कोडंबियपुरिसे सक्कारेइ.... पडिविसजे ॥२॥
कठिन शब्दार्थ - कूडागारसालं - कूटाकार शाला-जिस भवन का आकार पर्वत के शिखर-चोटी के समान है, अणेगक्खंभसय संणिविटुं - सैंकड़ों स्तंभों से युक्त, पासाईयं - प्रासादीय-मन को हर्षित करने वाली, दरिसणिजं - दर्शनीय-जिसे बारम्बार देखने पर भी आँखें न थकें, अभिरूवं - अभिरूप-जिसे एक बार देख लेने पर भी पुनः देखने की लालसा बनी
रहे, पडिरूवं - प्रतिरूप-जिसे जब भी देखा जाय तब भी वहाँ नवीनता ही प्रतिभासित हो, .. णाइविकिडेहिं - नीति विकृष्ट- जो कि ज्यादा लम्बे नहीं ऐसे, अद्धाणेहिं - यात्राओं से,
वसहि पायरासेहिं - विश्राम स्थानों, उस्सुक्के - उच्छुल्क।
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