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मति ज्ञान - कूप में से अंगूठी निकालना
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बात स्वीकार की। यह देख कर वह धूर्त नागरिक, बहुत लज्जित हुआ और चुपचाप अपने घर चला गया। धूर्त से पीछा छूट जाने से प्रसन्न होता हुआ वह ग्रामीण भी अपने गाँव लौट गया।
यह शर्त लगाने वाले धूर्त नागरिक और ग्रामीण को सम्मति देने वाले धूर्त, की-दोनों की औत्पत्तिकी बुद्धि थी।
३. बन्दरों से आम लेना
(वृक्ष का उदाहरण) कुछ यात्री वन में जा रहे थे। मार्ग में फलों से लदा हुआ आम का वृक्ष देखा और उसके फल खाने की इच्छा हुई। पेड़ पर कुछ बन्दर बैठे हुए थे। वे यात्रियों को आम लेने में बाधा डालने लगे। यात्रियों ने आम लेने का उपाय सोचा और बन्दरों की ओर पत्थर फेंकने लगे। इससे कुपित होकर बन्दरों ने आम के फल तोड़कर यात्रियों को मारने के लिए उन पर फैंकना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार यात्रियों का अपना प्रयोजन सिद्ध हो गया।
आम प्राप्त करने की यह यात्रियों की औत्पत्तिकी बुद्धि थी। . . ४. कूप में से अंगूठी निकालना
(खुड्डग) मगध देश में राजगृह नाम का सुन्दर और रमणीय नगर था। उसमें प्रसेनजित नाम का राजा राज्य करता था। उसके बहुत-से पुत्र थे। उन सब में श्रेणिक बहुत बुद्धिमान् था। वह राज-लक्षण सम्पन्न था। उसमें राजा के योग्य समस्त गुण विद्यमान थे। 'दूसरे राजकुमार ईर्षावश कहीं उसे मार नहीं डाले'-यह सोचकर राजा उसे न तो कोई अच्छी वस्तु देता था और न लाड़-प्यार ही करता था। केवल अन्तरंग रूप से उसका ध्यान रखता था। पिता के आन्तरिक भावों को नहीं समझ कर उसके ऊपरी व्यवहार से खिन्न होकर श्रेणिक, पिता को सूचना दिए बिना ही वहाँ से निकल गया। चलते-चलते वह बेनातट नामक नगर में पहुंचा। उस नगर में एक सेठ रहता था। उसका धन-वैभव नष्ट हो चुका था। श्रेणिक उसी सेठ की दुकान पर पहुंचा और दुकान के बाहर एक ओर बैठ गया।
. सेठ के एक विवाह योग्य पुत्री थी। निर्धनता के कारण सेठ को योग्य वर नहीं मिल पा रहा था। इससे उसे चिन्ता थी। सेठ ने उसी रात स्वप्न में अपनी पुत्री नन्दा का विवाह किसी रत्नाकर के साथ होते देखा। यह शुभ स्वप्न देखने के कारण सेठ आज विशेष प्रसन्न था। श्रेणिक के आने
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