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ज्ञाताधर्मकथांग sacococccccccccccccccccccccccCEREDEEEEEEEEER
धन्य सार्थवाह के चिलात नामक दास पुत्र था। वह परिपूर्ण पंचेन्द्रिय युक्त एवं हृष्ट-पुष्ट देह वाला था। बच्चों को खिलाने-क्रीड़ा करवाने में विशेष निपुण था। दासपुत्र का उद्दण्ड स्वभाव
(३) तए णं से दास चेडे सुसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए यावि होत्था सुंसुमं दारियं कडीए गिण्हइ २ त्ता बहूहि दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे २ विहरइ।
शब्दार्थ - बालग्गाहे - बच्चों को खिलाने का कार्य।
भावार्थ - वह दास पुत्र बालिका सुंसुमा को खिलाने के लिए नियुक्त किया गया। सुंसुमा बालिका को कमर में लेता-गोदी में लेता, बहुत से बालक-बालिकाओं, बच्चे-बच्चियों के साथ . खेलता हुआ रहता।
(४)
तए णं से चिलाए दास चेडे तेसिं बहुणं दारयाण य ६ अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ एवं वट्टए आडोलियाओ तिंदूसए पोत्तुल्लए साडोल्लए अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरइ अप्पेगइए आउसइ एवं अवहसइ णिच्छोडेइ णिन्भच्छेइ तज्जेइ अप्पेगइए तालेइ।
शब्दार्थ - खुल्लए - कौड़ियाँ, वट्टए - लाख से निर्मित गोले, आडोलियाओ - आडोलिया संज्ञक खिलौने, तिंदूसएं - बड़ी गेंदें, पोत्तुल्लए - कपड़े की गुड़ियाँ, साडोल्लए - उत्तरीय वस्त्र, आउसइ - निष्ठुर वचनों से आक्रोश करता, णिच्छोडेइ - डराता, धमकाता, णिन्भच्छेइ - भर्त्सना करता, तज्जेइ - तर्जित करता, तालेइ - ताड़ित करता।
भावार्थ - वह दासपुत्र उन बहुत से कुमारों-कुमारियों में से कईयों की कौड़ियाँ, कुछेक के लाख के गोले, कतिपय के आडोलिक नामक खिलौने, गेंदे, कपड़े से बनी गुड़िया, उत्तरीय वस्त्र छीन लेता। किन्हीं पर कड़े वचनों से आक्रोश दिखाता। किसी पर हंसता कइयों को डराता, धमकाता. तर्जित करता तथा ताड़ित भी करता।
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