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॥ णमो सिद्धाणं॥
पायाधम्मकहाओ ज्ञाताधर्मकथांग सन्त्र
भाग २ (मूल पाठ, कठिन शब्दार्थ, भावार्थ एवं विवेचन सहित) मायंदी णामं णवमं अज्झयणं
माकन्दी नामक नववाँ अध्ययन
(१ जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते णवमस्स णं भंते! णायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते?
- भावार्थ - आर्य जंबू ने श्री सुधर्मास्वामी से पूछा - भगवन्! यदि श्रमण यावत् निर्वाण प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने आठवें ज्ञाताध्ययन का पूर्वोक्त रूप में प्रतिपादन किया है तो कृपया बतलाएँ, उन्होंने नवें ज्ञाताध्ययन का क्या अर्थ प्ररूपित किया है।
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