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________________ [26] १६६ १५६ २११ क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय - पृष्ठ ७६.. संलेखना पूर्वक समाधि मरण १४४ | १०१.आमंत्रित राजन्यगण रवाना १८६. ८०. नागश्री की भर्त्सना १४७ | १०२.स्वयंवर विषयक निर्देश ८१. नागश्री का गृह से निष्कासन, | १०३.द्रुपद द्वारा घोषणा घोर दुर्गति १४६ | १०४.स्वयंवर का शुभारंभ ८२. उत्तरवती भवो में भीषण वेदना १५१ | १०५.पंच पांडव वरण। ८३. सार्थवाह कन्या के रूप में जन्म १५३ | १०६.पाणिग्रहण संस्कार ८४. सार्थवाह जिनदत्त | १०७.राजा पाण्डु द्वारा हस्तिनापुर ८५. सुकुमालिका के विवाह का प्रस्ताव १५५ का निमंत्रण ८६. विवाह की शर्त १०८.हस्तिनापुर से मंगल-महोत्सव ८७. सुकुमालिका एवं सागर १०६.नारद का पदार्पण का पाणिग्रहण ११०.द्रौपदी पर कुपित ८८. सुकुमालिका की देह का १११.नारद का षड्यंत्र ___अग्नि कणोपम स्पर्श १५६ | ११२.देव द्वारा द्रौपदी का अपहरण ८६. सुकुमालिका का परित्याग १६० | ११३.पद्मनाभ द्वारा काम६०. द्रमक द्वारा भी परित्याग १६७ भोग का आह्वान ६१. सुकुमालिका द्वारा दान ११४.शील रक्षण की युक्ति धर्म का आश्रय | ११५.द्रौपदी की खोज २१४ ६२. प्रव्रज्या ग्रहण १६६ | ११६.कुंती द्वारा सहायता हेतु६३. विपुल भोगाकांक्षामय निदान . १७१ | श्रीकृष्ण से अनुरोध ६४. सुकुमालिका की देह - ११७.द्रौपदी के छुटकारे का सफल प्रयास २२० संस्कारपरायणता १७२ | ११८.देव सहायता से समुद्र पार ६५. श्रमणी संघ का परित्याग १७४ | ११६.राजा पद्मनाभ को चुनौती. २२४ ६६. द्रौपदी वृत्तांत १७५ | १२०.पद्यनाभ का युद्धार्थ प्रयाण २२६ ६७. स्वयंवर की घोषणा १७८ | | १२१. पद्मनाभ-पांडव संग्राम ६८. कृष्ण का पांचाल की ओर प्रस्थान १८२ | १२२.पांडवों की हार २२७ ६६. हस्तिनापुर : आमंत्रण १८३ | १२३.कृष्ण द्वारा मान-मर्दन २२६ १००.अन्यान्य राजाओं को आमंत्रण १८३ | १२४.पद्मनाभ का आत्म-समर्पण १६८ २१६ २२२ २२७ २३० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004197
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size7 MB
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