________________
[25] sacccccccccccccccccessaecacekaceesecxeEcccccccccccx विषय पृष्ठ | क्रं. विषय
पृष्ठ ३२. सर्व सुविधासंपन्न चिकित्सालय ७८ | ५७. पोट्टिला द्वारा श्राविकाव्रत स्वीकार १०६ ३३. प्रसाधन कक्ष
७८ | ५८. अमात्य द्वारा सशर्त प्रव्रज्या३४. नन्द श्रेष्ठी की प्रशंसा
| की अनुज्ञा
११० ३५. नंद व्याधिग्रस्त ,
| ५९. पोट्टिला प्रव्रजित
१११ ३६. देहावसान : मेंढक के रूप में पुनर्जन्म ६०. कनकरथ की मृत्यु : उत्तराधिकारी३७. जाति स्मरण ज्ञान की उत्पत्ति
की गवेषणा
११२ ३८. श्रावक धर्म का अंतःस्वीकार
६१. कनकध्वज का चयन : राज्याभिषेक ११४ ३६. दर्दुर द्वारा तपश्चरण
६२. प्रतिबोध का युक्तियुक्त प्रयास ११६ ४०. भगवान् का समवसरण'
६३. तेतली पुत्र का घोर तिरस्कार ११७ ४१. भगवान् की वंदना हेतु दर्दुर
६४. आत्म हत्या का असफल प्रयास ११६ का प्रस्थान .
६५. पोटिल देव द्वारा प्रतिबोधित १२१ ४२. मारणांतिक प्रत्यवाय .
६६. तेतली पुत्र को जाति स्मरण ज्ञान १२२ ४३. संलेखना पूर्वक देहत्याग ८६ | ६७. तेतली पुत्र को केवलज्ञान - १२३ ४४. देव के रूप में उत्पत्ति
६८. कनकध्वज द्वारा क्षमायाचना १२४ ४५. भविष्य-कथन
नंदीफल नामक पन्द्रहवां अध्ययन तेतलीपुत्रनामकचौदहवां अध्ययन ६९. धन्य सार्थवाह की व्यापारार्थ यात्रा १२७ ४६. अमात्य तेतली-पुत्र
६३ ७०. सह यात्रियों को चेतावनी १३० ४७. स्वर्णकार मूषिकादारक एवं पोट्टिला ६४ | ७१. धन्य का अहिच्छत्रा आगमन, ४८. तेतली-पुत्र पोट्टिला पर मुग्ध . ६४ | क्रय-विक्रय
१३३ ४६. पाणिग्रहण का प्रस्ताव
| अपरकंकानामकसोलहवांअध्ययन ५०. भार्या-प्राप्ति
६८ | ७२. तीन धनी, विद्वान् ब्राह्मण १३६ ५१. सत्तालोलुप राजा कनकरथ । ६६ | ७३. एक साथ भोजन का निर्णय १३७ ५२. रानी की बुद्धिमत्ता १०० | ७४. खारे, कडुवे तूंबे का शाक।
१३८ ५३. सन्तति परिवर्तन की आयोजना १०१ / ७५. स्थविर धर्मघोष का आगमन . ५४. अमात्य द्वारा पुत्र जन्मोत्सव १०४ | ७६. नागश्री का दूषित दान । १४० ५५. पोट्टिला से विरक्ति
१०४ |.७७. विषाक्त तूंबे को परठने का आदेश १४१ ५६. आर्या सुव्रता का पदार्पण १०६ / ७८. हिंसा-भय से स्वदेह में परिष्ठापन १४२
१३६
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org