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________________ ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र भाग २ विषयानुक्रमणिका Ac क्रं. विषय __ पृष्ठ | क्रं. विषय माकंदी नामक नववां अध्ययन | दावदव नामक ग्यारहवां अध्ययन १. दो सार्थवाह पुत्रों द्वारा समुद्री यात्रा २ / १७. देशाराधक का विवेचन २. विकराल तूफान ४ | १८. सर्व विराधक का लक्षण .. ४६ ३. काष्ठफलक के सहारे माकंदी पुत्र बचे ७ | १६. सर्वाराधक की भूमिका - ४६ ४. माकंदी पुत्रों द्वारा रत्नद्वीप में प्रवेश ६ | उदकज्ञात नामक बारहवां अध्ययन ५. भयभीत माकंदी-पुत्र भोग विवश १० | २०. अतिमलिन, जलयुक्त परिखा ४६ ६. देवी के वासना पूर्ण आदेश २१. मनोज्ञ आहार की प्रशंसा का स्वीकार ११/ २२. पुद्गलों की परिणमनशीलता ७. देवी का माकंदी पुत्रों को आदेश १२ | २३. मलिन जल का सुपेय जल८. माकंदी पुत्रों द्वारा तीन वन में रूपांतरण खंडों में मनोरंजन १७ | २४. प्रयोगजनित पुद्गल परिणमन ६. दक्षिणी वनखंड का रहस्योद्घाटन १६ | मण्डुकज्ञातनामकतेरहवांअध्ययन १०. छुटकारे का उपाय २१ | २५. गौतम का प्रश्न : भगवान् द्वारा११. उद्धार की अभ्यर्थना और शर्त समाधान १२. देवी के चंगुल से मुक्ति का प्रयास २४ | २६. नन्द मणिकार १३. देवी का दुष्प्रयास २५ | २७. नन्द का सम्यक्त्व से वैमुख्य १४. देवी का दूसरा दुष्प्रयास ३३ | २८. नंद द्वारा पुष्करिणी का निर्माण चन्द्रमा नामक दसवां अध्ययन | २६. नंदा पुष्करिणी की सौंदर्य वृद्धि १५. स्वरूप हानि का क्रम ३६ | ३०. चित्रशाला १६. वृद्धि का विकास क्रम ४०| ३१. पाकशाला ५६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004197
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size7 MB
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