________________
१३०
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
BOOBLEMORVARDHIREDDRREAR
Heartereeramreates
AURURURAMMA anmMARRBanRSERRORIWOOBSS000ROBERTERS
KER HIDEEPROMeroSagenOBBEHENGE
किया उन्हें भोजन कराया, यात्रार्थ जाने हेतु उनसे पूछा-अनुज्ञा ली। फिर उसने गाड़े-गाड़ी जुतवाए, चंपानगरी के बीचोंबीच होता हुआ निकला। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पड़ाव डालता हुआ, प्रातःकाल के अल्पाहार आदि की सभी व्यवस्थाओं के साथ, अंग जनपद के बीचोंबीच होता हुआ, उसके सीमावर्ती स्थान पर पहुंचा। गाड़े-गाड़ी खुलवाए, काफिले को वहीं ठहराया तथा कौटुंबिक पुरुषों को बुलाया और कहा।
सहयात्रियों को चेतावनी
(8) तुब्भे णं देवाणुप्पिया! मम सत्थणिवेसंसि महया २ सद्देणं उग्रोसेमाणा २ एवं वयह - एवं खलु देवाणुप्पिया! इमीसे आगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए बहुमज्झदेसभाए (एत्थ णं) बहवे णंदिफला णामं रुक्खा पण्णत्ता किण्हा जाव पत्तिया पुप्फिया फलिया हरिया रेरिज्जमाणा सिरीए अईव २ उवसोभेमाणा चिटुंति मणुण्णा वण्णेणं ४ जाव मणुण्णा फासेणं मणुण्णा छायाए। तं जो णं देवाणुप्पिया! तेसिं णंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंद० तयपत्तपुप्फफलबीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ छायाए वा वीसमइ तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा २ अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेंति। तं मा णं देवाणुप्पिया! केइ तेसिं णंदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाए वा वीसमउ मा णं सेऽवि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जिस्सइ। तुन्भे णं देवाणुप्पिया! अण्णेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य आहारेह छायासु वीसमह त्ति घोसणं घोसेह जाव पच्चप्पिणंति।
शब्दार्थ - छिण्णावायाए - आवागमन रहित, दीहमद्धाए - अत्यंत लंबे मार्ग से युक्त।
भावार्थ - देवानुप्रियो! तुम लोग मेरे इस काफिले के पड़ाव में सहयात्रियों के बीच जोरजोर से यह घोषणा करते हुए कहो - देवानुप्रियो! यहाँ से आगे एक घोर वन है, जहाँ लोगों का आवागमन नहीं है। उसका रास्ता बहुत लंबा है। उस वन के ठीक बीचोंबीच नंदी फल वाले वृक्ष हैं। वे नील यावत् कृष्ण आभा, पत्र, पुष्प एवं फलयुक्त हैं, हरे-भरे हैं, बहुत ही सुहावने हैं। उनका वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, छाया बहुत मनोज्ञ, मनोहर है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org