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प्रथम अध्ययन - श्रेणिक का उपस्थान शाला में आगमन
सिरए हारोत्थयसुकय-रइयवच्छे पालंब-पलंबमाण-सुकय-पडउत्तरिज्जे मुद्दियापिंगलंगुलीए णाणामणि-कणग-रयणविमलमहरिह-णिउणोविय-मिसिमिसंत विरइय-सुसिलिट्ठ विसिट्ट-लट्ठसंठियपसत्थ आविद्ध वीरबलए, किं बहुणा? कप्परुक्खए चेव सुअलंकियविभूसिए परिंदे सकोरंट मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं उभओ चउचामरवालवीइयंगे मंगल-जयसद्द-कयालोए अणेगगणणायग-दंडणायग-राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-मंति-महामंतिगणग-दोवारिय-अमच्च-चेडपीढमद्द-णगर-णिगम-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहदूय-संधिवालसद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेहणिग्गए विव गहगण-दिप्पंत-रिक्खतारागणाण मज्झे ससि व्व पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे। ... शब्दार्थ - पडिणिक्खमित्ता - प्रतिनिष्क्रांत होकर-निकल कर, मज्जणघरे - स्नानघर, समंतजालभिरामे - चारों ओर निर्मित जालियों के कारण, अभिराम - सुंदर, विचित्त - विचित्र, रमणिज्जे - रमणीय, सुंदर, ण्हाणमंडवंसि - स्नानमंडप में, पहाणपीढंसि - स्नान पीठ पर, सुहणिसण्णे - सुखपूर्वक बैठा, सुहोदएहिं - शुभ उदक-उत्तम जल द्वारा, पुप्फोदएहिंपुष्प युक्त जल द्वारा, गंधोदएहिं - सुगंधित पदार्थ युक्त पानी द्वारा, विहीए - विधिपूर्वक, कोउयसएहिं - कौतुकशत्-सैकडों प्रकार के क्रियोपचार, बहुविहेहिं - बहुत प्रकार के, पवरमज्जणावसाणे - भलाभाँति स्नान करने के पश्चात्, पम्हल - पक्ष्मल-ऊँचे उठे हुए सूक्ष्म सूत के तंतुओं से युक्त, गंधकासाईय - सुगंधित काषाय रंग में रंगे हुए, लुहियंग - देह के अंगों को पोंछा, अहय - अहत-अखंडित, सुमहग्य - बहुमूल्य, दूसरयण - दूष्यरत्न-श्रेष्ठ वस्त्र, सुसवए - सुसंवृत्त हुआ-पहना, सरस-सुरभि-गोसीस-चंदण - सरस-सुगंधित गोशीर्ष जातीय उत्तम चंदन, अणुलित्तगत्ते - देह पर लेप किया, सुइमाला - पवित्र पुष्पों की माला, वण्णग-विलेवणे - केसर आदि अंगरागों का आलेपन, आविद्ध - धारण किया, कप्पय - कल्पित-रचित, हार - अट्ठारह लड़ों का हार, अर्द्धहार - नौ लड़ों का हार, तिसरय - तीन लड़ों का हार, पालम्ब - झूमका, पलंबमाणा - लटकता हुआ, कडिसुत्त - कटिसूत्र-कमर
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