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________________ प्रथम अध्ययन - संयमोपकरण की अभ्यर्थना १२७ (१३८) तए णं से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! सिरिघराओ तिण्णि सयसहस्साइं गहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्गहं च उवणेह सयसहस्सेणं कासवयं सद्दावेह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा सिरिघराओ तिण्णि सयसहस्साइं गहाय कुत्तियावणाओ दोहिं सयसहस्सेहिं रयहरणं पडिग्गहं च उवणेति सयसहस्सेणं कासवयं सद्दावेंति। शब्दार्थ - गच्छह - जाओ, सिरिघराओ - श्रीगृह-खजाने से, तिण्णि - तीन, सयसहस्साई - लाख, गहाय - लेकर, दोहिं - दो से। भावार्थ - राजा श्रेणिक ने कौटुंबिक पुरुषों को बुलाया और कहा - तुम लोग खजाने से तीन लाख स्वर्ण मुद्राएँ लेकर, दो लाख द्वारा कुत्रिकापण से रजोहरण और पात्र ले आओ तथा एक लाख नाई को देकर बुला लाओ। ____कौटुंबिक पुरुष यह आज्ञा पाकर बहुत ही हर्षित और प्रसन्न हुए। उन्होंने खजाने से तीन लाख स्वर्ण मुद्राएँ लीं। दो लाख द्वारा कुत्रिकापण से रजोहरण एवं पात्र लिए और एक लाख नाई को देकर बुलाया। विवेचन - इस सूत्र में प्रयुक्त “कुत्तियावण" शब्द बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इसका संस्कृत रूप 'कुत्रिकापण' होता है। यह कु + त्रि + क् + आपण - के मेल से बना है। 'कु' का अर्थ पृथ्वी है। 'त्रि' तीन का सूचक है। इसके पश्चात् आया हुआ 'क' स्वार्थिक प्रत्यय है जो संज्ञा शब्दों के स्व-अपने अर्थ का ज्ञापक होता है। अर्थात् इस प्रत्यय के जुड़ने पर अर्थ में कोई अन्तर नहीं आता। जैसे 'बाल' शब्द में 'क' प्रत्यय जुड़ने पर 'बालक' बनता है। बाल और बालक - दोनों समानार्थक हैं। इसी प्रकार त्रि के साथ क प्रत्यय के योग से 'त्रिक्' बनेगा, जो 'तीनों लोकों का परिज्ञापक है। ‘आ समन्तात पण्यन्ते-विक्रीयन्ते वस्तूनि यस्मिन् तद् आपणं' - जहाँ वस्तुएँ - विविध पदार्थ बेचे जाते हैं, उसे 'आपण' कहा जाता है। अर्थात् आपण का तात्पर्य 'दुकान' से हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004196
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size9 MB
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