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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
आठ श्वेष्ठ कन्याओं के साथ प्राणिग्रहण
(१०४) तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मा पियरो मेहं कुमारं सोहणंसि तिहिकरणणक्खत्त-मुहुत्तंसि सरिसियाणं सरिसव्वयाणं सरिसत्तयाणं सरिस लावण्ण-रूवजोव्वण-गुणोववेयाणं सरिसएहितो रायकुलेहितो आणिल्लियाणं पसाहणटुंगअविहववहु-ओवयण मंगल-सुजंपिएहिं अट्ठहिं रायवर-कण्णाहिं सद्धिं-एगदिवसेणं पाणिं गिहाविंसु। ___ शब्दार्थ - करण - ज्योतिष के अनुसार एक दिन के भाग, सरिसियाणं - शारीरिक दृष्टि से सदृश, सरिसव्वयाणं - समान या समुचित आयु युक्त, सरिसत्तयाणं - समान त्वचा युक्त-सुकुमारता युक्त, लावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयाणं - समान लावण्य, रूप, यौवन एवं गुण युक्त, सरिसएहितो- सदाचार आदि गुणों में अपने समान, रायकुलेहितो - राजकुलों से, आणिल्लियाणं - लाई हुई, अटुंग-मस्तक, वक्षस्थल, उदर, पृष्ठ, दो भुजाएं, दो जंघाएंये आठ अंग, पसाहण - प्रसाधन-शुभ लक्षण युक्त-सुसज्जित, अविहववहु - अविधवासुहागिन स्त्रियां, ओवयण - दधि, अक्षत आदि मांगलिक पदार्थों द्वारा शुभोपचार, मंगल सुजंपिएहिं - मंगलगान करती हुई, रायवरकण्णाहिं - श्रेष्ठ राज कन्याओं के साथ, एगदिवसेणंएक दिन में ही, पाणिं गिण्हाविंसु - पाणिग्रहण करवाया। ___ भावार्थ - मेघकुमार के माता-पिता ने शुभ तिथि, करण, नक्षत्र एवं मुहूर्त में उसका आठ श्रेष्ठ राज कन्याओं के साथ एक ही दिन पाणिग्रहण संस्कार कराया। वे राज-कन्याएं शारीरिक दृष्टि से राजकुमार के समान, अवस्था में उसके अनुरूप, कान्ति में समकक्ष, लावण्य, रूप यौवन एवं गुणों में राजकुमार के सर्वथा सदृश तथा समान राज कुलों में उत्पन्न थीं। आठ अंगों में आभूषण धारण की हुई सुहागिन नारियों द्वारा किये गये शुभोपचार तथा मंगलगान के बीच विवाह-संस्कार सम्पन्न हुआ।
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