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प्रथम अध्ययन - नामकरण
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विभूसिया महइमहालियंसि भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं मित्तणाइ० गणणायग जाव सद्धिं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभाएमाणा परिभुंजेमाणा एवं च णं विहरइ। ___शब्दार्थ - तओ पच्छा - तत्पश्चात्, महइमहालयंसि - अत्यधिक विशाल, भोयणमंडवंसि- भोजन मंडप में, आसाएमाणा - आस्वादित कराते हुए, विसाएमाणा - विशेष आग्रह पूर्वक खिलाते हुए, परिभाएमाणा - मनुहार करते हुए।
भावार्थ - तदनंतर वे स्नान सम्बन्धी सम्पूर्ण विधि पूर्ण कर, अलंकारों से विभूषित होकर, विशाल भोजन-मंडप में आये। तैयार कराए गये अशन, पान आदि को आमंत्रित जनों के साथ आस्वादित किया। आदर एवं मनुहार पूर्वक खिलाया एवं ख़ाया।
नामकरण
(६५) । जिमिय-भुत्तुत्तरा-गया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तणाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणं बलं च बहवे गणणायग जाव विउलेणं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेंति सम्माणेति स० २ ता एवं वयासी - “जम्हा णं अम्हं इमस्स दारगस्स गन्भत्थस्स चेव समाणस्स अकाल मेहेसु दोहले पाउन्भूए तं होउ णं अम्हं. दारए मेहे णामेणं मेहकुमारे।" तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं गोण्णं गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंति।
शब्दार्थ - जिमिय - जीमे हुए-भोजन किए हुए, भुत्तुत्ततर - भोजन के पश्चात्, आयंता- पानी से कुल्ला, चोक्खा - मुख आदि की सफाई, परमसुइभूया - अत्यंत स्वच्छ, गब्भत्थस्स- गर्भावस्था के समय, गोण्णं - गुणानुरूप, गुणणिप्फण्णं - गुणनिष्पन्न, णामधेज्जंनामधेय-नाम। .. भावार्थ - भोजन करने के बाद उन्होंने आचमन किया, मुखादि को साफ किया, अत्यन्त स्वच्छ हुए तथा आमंत्रित जनों को पर्याप्त, पुष्प, सुगंधित पदार्थ, मालाएँ, अलंकार आदि द्वारा सत्कारित एवं सम्मानित किया और बोले - यह बालक जब गर्भ में था तभी माता को असमय
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