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तृतीय प्रतिपत्ति - जंबूद्वीप के द्वारों का वर्णन
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चंदणकयचच्चागा आबद्धकंठेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा महया महया महिंदकुंभसमाणा पण्णत्ता समणाउसो!
कठिन शब्दार्थ - णिसीहियाए - नैषेधिकाएं-बैठने के स्थान, वरकमलपइट्ठाणा - श्रेष्ठ कमलों पर प्रतिष्ठित, सुरभिवरवारिपडिपुण्णा - सुगंधित और श्रेष्ठ जल से परिपूर्ण, आबद्धकंठेगुणा - कंठों में मौली (लच्छा) बंधी हुई है, पउमुप्पलणिहाणा - पद्म कमलों का ढक्कन, महिंदकुंभ - महेन्द्र कुम्भ (महाकलश)।
भावार्थ - उस विजय द्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाएं हैं। उन दो नैषेधिकाओं में दो दो चंदन के कलशों की पंक्तियां कही गई हैं। वे चंदन के कलश श्रेष्ठ कमलों पर प्रतिष्ठित हैं। सुगंधित और श्रेष्ठ जल से भरे हुए हैं, उन पर चंदन का लेप किया हुआ है, उनके कंठों में मौली बंधी हुई है, उन पर पद्मकमलों का ढक्कन है, वे सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, मृदुपुद्गलों से निर्मित हैं यावत् प्रतिरूप हैं। हे आयुष्मन् श्रमण! वे कलश बड़े बड़े महाकुम्भ के समान कहे गये हैं।
- विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ णिसीहियाए दो दो णागदंतपरिवाडीओ, तेणं णागदंतगा मुत्ताजालंतरूसियहेमजालगवक्खजालखिंखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता अब्भुग्गया अभिणिसिट्टा तिरियं सुसंपगहिया अहेपण्णगद्धरूवा पण्णगद्धसंठाणसंठिया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया महया गयदंत समाणा प० समणाउसो! ... कठिन शब्दार्थ - मुत्ताजालंतरूसियहेमजालगवक्खजालखिंखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता - मुक्ताजालाओं के अंदर लटकती हुई स्वर्णमालाओं, गवाक्ष की आकृति की रत्नमालाओं और छोटी छोटी घण्टिकाओं (धुंघुरुओं) से युक्त, पण्णगद्धसंठाणसंठिया - सर्प के नीचले आधे भाग की आकृति वाले।
भावार्थ - उस विजयद्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाओं में दो दो नागदंतों (खूटियों) की पंक्तियां हैं। वे नागदंत मुक्ता जालों के अंदर लटकती हुई स्वर्णमालाओं गवाक्ष की आकृति की रत्नमालाओं और छोटी छोटी घंटिकाओं से युक्त हैं। आगे के भाग में ये कुछ ऊंचाई लिये हुए हैं। ये खूटियां ऊपर के भाग में आगे निकली हुई और अच्छी तरह ढकी हुई है, सर्प के निचले आधे भाग की तरह उनका रूप है अर्थात् अति सरल और दीर्घ हैं। इसलिए सर्प के निचले आधे भाग की तरह उनकी आकृति हैं। वे सर्वरत्नों की बनी हुई हैं, स्वच्छ हैं, मृदु हैं यावत् बहुत सुंदर हैं। हे आयुष्मन् श्रमण! वे नागदंत बड़े बड़े हाथी के दांत के समान कहे गये हैं।
तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्धवग्घारियमल्लदामकलावा जाव सुक्किल्लसुत्तबद्धवग्घारियमल्लदामकलावा। ते णं दामा तवणिज्जंलबूसगा
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