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________________ ४०२ .. जीवाजीवाभिगम सूत्र प्रश्न - हे भगवन्! प्रथम समय सिद्ध का अन्तर कितने काल का है ? उत्तर - हे गौतम! प्रथम समय सिद्ध का अन्तर नहीं है। प्रश्न - हे भगवन् ! अप्रथम समय सिद्ध का अन्तर कितने काल का है ? ..... . ..... उत्तर - हे गौतम! अप्रथम समय सिद्ध सादि अपर्यवसित होने से अन्तर नहीं है। प्रश्न - हे भगवन्! प्रथम समय नैरयिक, प्रथम समय तिर्यंच, प्रथम समय मनुष्य, प्रथम समय देव और प्रथम समय सिद्धों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय सिद्ध, उनसे प्रथम समय मनुष्य असंख्यातमुणा, उनसे प्रथम समय नैरयिक असंख्यातगुणा, उनसे प्रथम समय देव असंख्यातगुणा और उनसे प्रथम समय तिर्यंच असंख्यात गुणा हैं। प्रश्न - हे भगवन्! अप्रथम समय नैरयिकों यावत् अप्रथम समय सिद्धों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े अप्रथम समय मनुष्य, उनसे अप्रथम समय नैरयिक असंख्यातगुणा, उनसे अप्रथम समय देव असंख्यातंगुणा, उनसे अप्रथम समय सिद्ध अनंतगुणा और उनसे अप्रथम समय तिर्यंच अनंतगुणा हैं। प्रश्न - हे भगवन्! इन प्रथम समय नैरयिकों और अप्रथम समय नैरयिकों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? ... उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय नैरयिक हैं उनसे अप्रथम समय नैरयिक असंख्यातगुणा हैं। प्रश्न - हे भगवन्! प्रथम समय तिर्यंचों और अप्रथम समय तिर्यंचों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? ".उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय तिर्यंच हैं उनसे अप्रथम समय तिर्यच अनंतगुणा हैं। प्रश्न- हे भगवन्! इन प्रथम समय मनुष्यों और अप्रथम समय मनुष्यों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय मनुष्य हैं उनसे अप्रथम समय मनुष्य असंख्यातगुणा हैं। जिस प्रकार मनुष्यों के लिए कहा है उसी प्रकार देवों के विषय में भी समझ लेना चाहिये। प्रश्न - हे भगवन्! इन प्रथम समय सिद्धों और अप्रथम समय सिद्धों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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