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________________ - सर्व जीवाभिमम सर्व डीव दविध वनस्यता ४०३ उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय सिद्ध हैं उनसे अप्रथम समय सिद्ध अनन्तगुणा हैं। प्रश्न - हे भगवन्! इन प्रथम समय नैरयिक, अप्रथम समय नैरयिक प्रथम समय तियंच, अप्रथमसमय तिर्यच, प्रथम समय मनुष्य, अप्रथम समय मनुष्य, प्रथम समय देव, अप्रथम समय देव, प्रथम समय सिद्ध और अप्रथम समय सिद्ध इनमें कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं? ..उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े प्रथम समय सिद्ध हैं, उनसे प्रथम समय मनुष्य असंख्यातगुणा हैं उनसे अप्रथम समय मनुष्य असंख्यातगुणा हैं, उनसे प्रथम समय नैरयिक असंख्यातगुणा है, उनसे प्रथम समय देव असंख्यातगुणा हैं, उनसे प्रथम समय तिर्यंच असंख्यातगुणा हैं, उनसे अप्रथम समय नैरयिक असंख्यातगुणा हैं, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्यातगुणा हैं, उनसे अप्रथम समय सिद्धं अनंतगुणा हैं, उनसे अप्रथम समय तिर्यच अनंतगुणा हैं। इस प्रकार दस विध सर्व जीव प्रतिपत्ति समाप्त हुई। ॥सर्व जीवाभिगम पूर्ण ॥जीवाजीवाभिगम समाप्त॥ विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में सर्व जीवों के दस भेदों का निरूपण किया गया है। इनकी कायस्थिति, अंतर और अल्पबहुत्व का स्पष्टीकरण पूर्व प्रतिपत्तियों में दिया जा चुका है। जिज्ञासुओं को वहाँ देख लेना चाहिये। दसविध सर्वजीव प्रतिपत्ति समाप्त। ॥जीवाजीवाभिगम सूत्र भाग-२ समाप्त। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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