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तृतीय प्रतिपत्ति - चन्द्र सूर्य वर्णन
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प्रश्न - हे भगवन् ! चन्द्र विमान का आयाम विष्कंभ, परिधि और बाहल्य (मोटाई) कितना कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! चन्द्र विमान एक योजन के ६१ भागों में से ५६ भाग (१६) आयाम विष्कंभ (लंबाई चौड़ाई) वाला है। इससे तीन गुनी से कुछ अधिक परिधि है और एक योजन के ६१ भागों में से २८ भाग (१८) प्रमाण उसका बाहल्य (मोटाई) है।
प्रश्न - हे भगवन् ! सूर्य विमान की लम्बाई चौड़ाई, परिधि और मोटाई कितनी है?
उत्तर - हे गौतम! सूर्य विमान एक योजन के ६१ भागों में से ४८ भाग (८) लम्बा चौड़ा, तीन गुणी से अधिक उसकी परिधि तथा एक योजन के ६१ भागों में से २४ भाग (18) प्रमाण उसकी मोटाई है।
ग्रह विमान आधा योजन लम्बा चौड़ा, इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाला और एक कोस की मोटाई वाला है।
नक्षत्र विमान एक कोस लम्बा चौड़ा, इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाला और आधे कोस की मोटाई वाला है। ___ तारा विमान आधे कोस का लम्बा चौड़ा, इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाला और ५०० धनुष की मोटाई वाला है। _ विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में ज्योतिषी विमानों का आकार, लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि का कथन किया गया है। चन्द्र आदि विमानों का आकार अर्द्ध कबीठ जैसा कहा गया है।
शंका - जब चन्द्र आदि का आकार अर्द्ध कबीठ जैसा कहा है तो उदय के समय, पूर्णमासी के समय जब वह तिरछा गमन करता है तब उस आकार का क्यों नहीं दिखाई देता है ?
समाधान - इसका समाधान करते हुए टीकाकार कहते हैं - अर्द्ध कविट्ठागारा उदयत्थमणम्मि कहं न दीसंति? : ससिसूराण विभाणा तिरियखेत्तट्ठियाणं च। उत्ताणद्धकविठ्ठागारं पीठं तदुवरि च पासाओ। "वट्टालेखेण ततो समवर्ट दूरभावाओ॥
- यहां रहने वाले मनुष्यों द्वारा अर्द्ध कबीठ आकार वाले चन्द्र विमान की केवल गोल पीठ ही दिखाई देती है, हस्तामलकवत् उसका समतल भाग नहीं देखा जाता। गोल पीठ के ऊपर चन्द्र देव का प्रासाद है जो दूर रहने के कारण चर्मचक्षुओं द्वारा साफ-साफ नहीं दिखाई देता है। .
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