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________________ २४६ जीवाजीवाभिगम सूत्र ❖❖❖❖❖❖❖❖❖ उत्तर - हे गौतम! जंबूद्वीप नामक द्वीप में अभिजित नक्षत्र सब से भीतर गति करता है। मूल नक्षत्र सब नक्षत्रों के बाहर गति करता है । स्वाति नक्षत्र सब नक्षत्रों के ऊपर गति करता है और भरणी नक्षत्र सबसे नीचे चलता है । विवेचन - जंबूद्वीप में नक्षत्रों की मण्डल गति के विषय में टीका में भी यह गाथा दी है सव्वब्भिंतराऽभीई, मूलो पुण सव्व बाहिरो होई । सव्दोवरि तु साई भरणी, पुण सव्व हेट्ठिलिया ।। चंदविमाणे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिए सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसियपहसिए वण्णओ, एवं सूरविमाणेवि गहविमाणे वि, णक्खत्तविमाणेवि, ताराविमाणेवि अद्धकविट्ठसंठाणसंठिए ॥ चंदविमाणे णं भंते! केवइयं आयाम-विक्खंभेणं ? केवइयं परिक्खेवेणं ? केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ?, गोयमा! छप्पण्णे एगसट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं एगसद्विभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते॥ सूरविमाणस्सवि सच्चेव पुच्छा ? गोयमा! अडयालीसं एगसट्टिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीस एगसट्टिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते ॥ एवं गहविमाणेवि अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं कोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते ॥ णक्खत्तविमाणे णं कोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते, ताराविमाणे णं अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं पंचधणुसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ते ॥ १९७॥ भावार्थ - - प्रश्न हे भगवन् ! चन्द्र विमान किस आकार का कहा गया है ? - Jain Education International उत्तर - हे गौतम! चन्द्र विमान अर्द्ध कबीठ के आकार का है । वह सर्वात्मना स्फटिकमय है। , चन्द्रविमान की कांति सब दिशा - विदिशा में फैलती है जिससे यह सफेद, प्रभासित है आदि वर्णन कर देना चाहिये। इसी प्रकार सूर्य विमान, ग्रह विमान और तारा विमान भी अर्द्ध कबीठ के आकार के हैं। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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