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तृतीय प्रतिपत्ति - चन्द्र सूर्य वर्णन
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गोयमा! सूरविमाणाओ णं असीए जोयणेहिं चंदविमाणे चारं चरइ, जोयणसयअबाहाए सव्वोवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ॥
चंदविमाणाओ णं भंते! केवइयं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ?
गोयमा! चंदविमाणाओ णं वीसाए जोयणेहिं अबाहाए सव्व उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ, एवामेव सपुव्वावरेणं दसुत्तरसयजोयणबाहल्ले तिरियमसंखेजे जोइसविसए पण्णत्ते॥१९५॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! सबसे नीचले तारा से कितनी दूर सूर्य विमान चलता है? कितनी दूरी पर चन्द्र विमान चलता है ? कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है ?
उत्तर - हे गौतम! सबसे नीचले तारा से दस योजन दूरी पर सूर्य विमानचलता है, नब्बे (९०) योजन दूरी पर चन्द्र विमान चलता है। एक सौ दस (११०) योजन दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है। - प्रश्न - हे भगवन् ! सूर्य विमान से कितनी दूरी पर चन्द्र विमान चलता है ? कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है ? .
उत्तर - हे गौतम! सूर्य विमान से अस्सी (८०) योजन की दूरी पर चन्द्र विमान चलता है और एक सौ योजन पर सबसे ऊपर का तारा चलता है।
प्रश्न - हे भगवन् ! चन्द्र विमान से कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है ?
उत्तर - हे गौतम! चन्द्र विमान से बीस योजन की दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है। इस प्रकार सब मिला कर एक सौ दस (११०) योजन की मोटाई में तिरछी दिशा में असंख्यात योजन तक ज्योतिषी चक्र कहा गया है।
जंबूदीवे णं भंते! दीवे कयरे णक्खत्ते सव्वब्भिंतरिल्लं चारं चरइ? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ? कयरे णक्खत्ते सव्वउवरिल्लं चारं चरइ? कयरे दखत्ते सव्वहिट्ठिल्लं चार चरइ? | ___ गोयमा! जंबूदीवे णं दीवे अभीइणक्खत्ते सव्वब्भिंतरिल्लं चारं चरइ मूले णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ साई णक्खत्ते सव्वोवरिल्लं चारं चरइ भरणी णक्खत्ते सव्वहेट्ठिल्लं चारं चरइ॥१९६॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! जंबूद्वीप में कौनसा नक्षत्र सब नक्षत्रों के भीतर गति करता है ? कौनसा नक्षत्र सब नक्षत्रों के बाहर गति करता है ? कौनसा नक्षत्र सब नक्षत्रों के ऊपर गति करता है और कौनसा नक्षत्र सब नक्षत्रों के नीचे गति करता है?
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