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________________ जीवाजीवाभिगम सूत्र प्रश्न - हे भगवन्! लोकान्त से कितनी दूरी पर ज्योतिषी चक्र कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! लोकान्त से ग्यारह सौ ग्यारह (११११) योजन की दूरी पर ज्योतिषी चक्र कहा गया है। २४४ इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ केवइयं अबाहाए सव्वहेट्ठिल्ले चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ? केंवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणि० सत्तहिं णउएहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसं सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरइ, अट्ठहिं जोयणसएहिं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ, अट्ठहिं असीएहिं जोयणसएहिं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरड़, णवहिं जोयणसएहिं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरई ॥ भावार्थ प्रश्न हे भगवन्! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के बहुसमरमणीय भूमिभाग से कितनी दूरी पर - सबसे नीचला तारा रूप विमान गति करता है कितनी दूरी पर सूर्य विमान गति करता है? कितनी दूरी पर चन्द्र विमान गति करता है? कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है ? उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के बहुसमरमणीय भूमिभाग में सात सौ नब्बे (७९०) योजन दूरी पर सबसे नीचला तारा गति करता है । आठसौ (८००) योजन की दूरी पर सूर्य विमान चलता है। आठ सौ अस्सी योजन पर चल विमान चलता है। नौ सौ योजन दूरी पर सबसे ऊपर वाला तारा गति करता है । **** - सव्वहेट्ठिमिल्लाओ णं भंते! तारारूवाओ केवइयं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, गोयमा! सव्वहेट्ठिल्लाओ णं दसहिं जोयणेहिं सूरविमाणे चारं चरड़ णउईए जोयणेहिं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ दसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वोवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ॥ Jain Education International सूरविमाणाओ णं भंते! केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं ० सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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