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तृतीय प्रतिपत्ति - देवों का वर्णन
कहि णं भंते! णागकुमाराणं देवाणं भवणा पण्णत्ता? जहा ठाणपए जाव दाहिणिल्लाणि पुच्छियव्वा जाव धरणे इत्थ णागकुमारिंदे णागकुमारराया परिवसइ जाव विहरइ॥
भावार्थ - हे भगवन्! नागकुमार देवों के भवन कहां कहे गये हैं ?
हे गौतम! जिस प्रकार प्रज्ञापना सूत्र के दूसरे स्थान पद में कहा गया है यावत् दक्षिण दिशा वाले नागकुमारों के आवास का भी प्रश्न पूछना चाहिये यावत् वहां नागकुमारेन्द्र और नागकुमारराज धरण रहता है यावत् दिव्य भोगों को भोगता हुआ विचरता है।
धरणस्स णं भंते! णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो कइ परिसाओ प०? गोयमा! तिण्णि परिसाओ, ताओ चेव जहा चमरस्स।
धरणस्स णं भंते! णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो अन्भिंतरियाए परिसाए कइ देवसहस्सा पण्णत्ता जाव बाहिरियाए परिसाए कइ देविसया पण्णत्ता?
गोयमा! धरणस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो अब्भिंतरियाए परिसाए सटुिं देवसहस्साई मज्झिमियाए परिसाए सत्तरं देवसहस्साई बाहिरियाए परिसाए असीइदेवसहस्साई अभिंतरपरिसाए पण्णत्तरं देविसयं पण्णत्तं, मज्झिमियाए परिसाए पण्णासं देविसयं पण्णत्तं, बाहिरियाए परिसाए पणवीसं देविसयं पण्णत्तं। - भावार्थ - हे भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की कितनी परिषदाएं कही गई है?
हे गौतम! धरण की तीन परिषदाएं कही गई हैं जिनके नाम वे ही हैं जो चमरेन्द्र की परिषद् के कहे गये हैं।
हे भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की आभ्यन्तर परिषद में कितने हजार देव हैं ? यावत् बाह्य परिषद् में कितनी देवियाँ हैं ?
. हे गौतम ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की आभ्यंतर परिषद् में साठ हजार देव हैं, मध्यम परिषद् में सत्तर हजार देव हैं और बाह्य परिषद् में अस्सी हजार देव हैं। आभ्यंतर परिषद् में १७५ देवियां हैं, मध्यम परिषद् में १५० देवियां हैं और बाह्य परिषद् में १२५ देवियाँ हैं।
धरणस्स णं भंते! रणो अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? अब्भिंतरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
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