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________________ १६३ लवण समुद्र में आये हुए "गौतम द्वीप, चन्द्र द्वीप" आदि का मानचित्र www.jainelibrary.org अब ८८+ यो. तथा अअ क = १२००० योजन अक = १२००० योजन खि क ख - योजन या ..४७१ .__ ४८ . भाग) लगभग । योजन For Personal & Private Use Only ख ग = १७६ योजन तथा : भाग | पब = उत्सेध वृद्धि उत्सेध वृद्धि (ऊँचाई) पब स = ८६ यो.स पस = १२००० यो. सग% १२००० यो. का गौतमद्वीप ग स = लवण समुद्र की तरफ-समुद्र भाग (जम्बूद्वीप से) (समुद्र के पानी का ऊपरी तल) | गघ = २५२ योजन २ भाग उद्वेध । पद - उद्वेध वृद्धि द सद = १२६ यो. ३० भाग उद्वेध | | (गोतीर्थ से) (ख ग ग घ क ख-४२९ योजन २६) [फ द -२३३ * यो. ( १७६८० २५२६०. योजन) (लवण समुद्र की तरफ) घ ग च= २५२ ६६-१७६ ६०-४२९६६ योजन जम्बूद्वीप की तरफ च घ च = १०७ योजन भाग ___चल एवं फर = पानी के तल के नीचे नींव का भाग . ऊपरी भाग का चतुर्थांश - भाग - गच का एक चतुर्थांश होने से १०७ योजन 2, योजन गौतम द्वीप का सर्वाग्र = ५३७६६ योजन ( ६.९८ .२५ १२५ २६ २३३६६ - ५३७६६ योजन "जम्बूद्वीप की तरफ") .. : गौतम द्वीप का सर्वान - ५३७६६ योजन ( १८ . १७५ २६ २५२६०.९०० ६६ योजन "लवण समुद्र की तरफ") फ, फच = १२००० योजन नींव की | उंडाई नींव की उंडार्ड रल १२००० योजन . ल ४४ ४० Jain Education International
SR No.004195
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2003
Total Pages422
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size9 MB
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