________________
जीवाजीवाभिगम सूत्र
आकाश में चलते थे, चलते हैं और चलेंगे। एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोडाकोडी तारागण आकाश में शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे।
विवेचन एक चन्द्रमा के परिवार के लिये कहा है
छावट्टिसहस्साइं णव चेव सयाइं पंचसयराई ।
१४२
एक ससि परिवारो तारागण कोडिकोडीणं ॥
प्रत्येक चन्द्रमा के परिवार में २८ नक्षत्र, ८८ ग्रह और ६६९७५ कोडाकोडी ताराओं का समूह
-
-
होता है।
जंबूद्वीप में दो चन्द्र दो सूर्य हैं अतः वहां ५६ नक्षत्र, १७६ ग्रह और १,३३,९५० कोंडाकोडी तारागण हैं ।
॥ जंबूद्वीप का वर्णन समाप्त ॥
लवण समुद्र का वर्णन
जंबुद्दीवं णामं दीवं लवणे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए सव्वओ समता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ ॥
Jain Education International
लवणे णं भंते! समुद्दे किं समचक्कवालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ?
गोयमा! समचक्कवालसंठिए णो विसमचक्कवालसंठिए ॥
कठिन शब्दार्थ - वलयागार संठाणसंठिए वलयाकार (गोलाकार) संस्थान संस्थित, समचक्कवालसंठिए - समचक्रवाल संस्थित, विसमचक्कवालसंठिए विषमचक्रवाल संस्थित। भावार्थ - जम्बूद्वीप नामक द्वीप को गोल और वलय की तरह गोलाकार में संस्थित लवण समुद्र चारों ओर से घेरे हुए अवस्थित है।
हे भगवन्! लवण समुद्र समचक्रवाल से संस्थित है या विषम चक्रवाल से संस्थित है ?
हे गौतम! लवण समुद्र समचक्रवाल से संस्थित है किंतु विषमचक्रवाल से संस्थित नहीं है । विवेचन - जम्बूद्वीप नामक मध्य द्वीप का वर्णन करने के बाद सूत्रकार लवण समुद्र का वर्णन प्रारंभ करते हैं। यह लवण समुद्र जंबूद्वीप को चारों ओर से घेरे हुए हैं अतः इसका आकार वलय के जैसा गोल हो गया है । लवण समुद्र सर्व दिशाओं में अच्छी तरह से संस्थापित परिवेष्ठित है । जिस प्रकार जंबूद्वीप सभी द्वीपों के मध्य में है उसी प्रकार लवण समुद्र सभी समुद्रों के मध्य है। इस लवण समुद्र का संस्थान सम है, विषम नहीं।
-
For Personal & Private Use Only
-
www.jainelibrary.org