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जीवाजीवाभिगम सूत्र
एकोरुक द्वीप में सर्प आदि
अथणं भंते! एगूरुयदीवे० अहीइ वा अयगराइ वा महोरगाइ वा ?
हंता अस्थि, णो चेव णं ते अण्णमण्णस्स तेसिं वा मणुयाणं किंचि आबाहं वा पबाहं वा छविच्छेयं वा करेंति, पगड़भद्दगा णं ते वालगगणा पण्णत्ता समणाउसो ! ।
भावार्थ प्रश्न हे भगवन्! एकोरुक द्वीप में सर्प, अजगर और महोरग हैं क्या ?
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उत्तर - हे आयुष्मन् श्रमण ! वहां सर्प आदि हैं किंतु वे परस्पर या वहां के लोगों को बाधा पीड़ा नहीं पहुंचाते हैं, नहीं काटते हैं। वे सर्पादि स्वभाव से ही भद्रिक होते हैं।
एकोरुक द्वीप में उपद्रव आदि
अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे० गहदंडाइ वा गहमुसलाइ वा गहगज्जियाइ वा गहजुद्धाइ वा गहसंघाडगाइ वा गहअवसव्वाइ वा अब्भाइ वा अब्भरुक्खाइ वा संझाइ वा गंधव्वणगराइ वा गज्जियाई वा विज्जुयाइ वा उक्कापायाइ वा दिसादाहाइ वाणिग्धायाइ वा पंसुविट्ठीइ वा जुवगाइ वा जक्खालित्ताइ वा धूमियाइ वा महियाइ वा रउग्घायाइ वा चंदोवरागाइ वा सूरोवरागाइ वा चंदपरिवेसाइ वा सूरपरिवेसाइ वा पडिचंदाइ वा पडिसूराइ वा इंदधणूइ वा उदगमच्छाइ वा अमोहाइ वा कविहसियाइ वा पाईणवायाइ वा पडीणवायाइ वा जाव सुद्धवायाई वा गामदाहाइ वा णगरदाहाइ वा जाव सण्णिवेसदाहाइ वा पाणक्खयजणक्खयकुलक्खयधणक्खयवसणभूयमणारियाइ वा ?
इट्ठे सट्टे ।
कठिन शब्दार्थ- गहदंडाइ - दण्डाकार ग्रह समुदाय, गहगज्जियाइ - ग्रहगर्जितमिति ग्रहों के संचार की ध्वनि, गहजुद्धाइ ग्रहयुद्ध-दो ग्रहों का एक स्थान पर होना, गहसंघाडगाइ - ग्रह संघाटकत्रिकोणाकार ग्रह समुदाय, गहअवसव्वाइ - ग्रहापसव - ग्रहों का वक्री होना, अब्भाइ - अभ्र-मेघों का उत्पन्न होना, गंधव्व णगराइ - गन्धर्वनगरं - बादलों का नगर आदि रूप में परिणमन, गज्जियाई - गर्जना विष्णुवाइ विद्युत - बिजली चमकना, उक्कापायाइ उल्कापात - बिजली गिरना, दिसादाहाइदिग्दाह- किसी एक दिशा का एकदम अग्नि ज्वाला जैसा भयानक दिखना, णिग्वावाइ निर्घात-बिजली का कड़कना, सुवि धूलि वर्षा, जुवगाइ यूपक-संध्या प्रभा और चन्द्रप्रभा का मिश्रण होने पर
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