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जीवाजीवाभिगम सूत्र ।
रत्नप्रभा के नीचे घनोदधि की मोटाई बीस हजार योजन की है। घनवात की मोटाई असंख्यात हजार योजन है। तनुवात और आकाश भी असंख्यात हजार योजन की मोटाई वाले हैं।
सक्करप्पभाए णं भंते! पुढवीए घणोदही केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? . गोयमा! वीसं जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पण्णत्ते। सक्करप्पभाए णं पुढवीए घणवाए केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते?
गोयमा! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते। एवं तणुवाए वि, ओवासंतरे वि। जहा सक्करप्पभाए पुढवीए एवं जाव अहेसत्तमाए॥७२॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! शर्कराप्रभा पृथ्वी का घनोदधि कितनी मोटाई वाला कहा गया है ? उत्तर - हे गौतम! शर्कराप्रभा पृथ्वी का घनोदधि बीस हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है। प्रश्न - हे भगवन्! शर्कराप्रभा पृथ्वी का घनवात कितनी मोटाई वाला कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! शर्कराप्रभा पृथ्वी का घनवात असंख्यात हजार योजन की मोटाई वाला है। इसी प्रकार तनुवात और आकाश की मोटाई कह देनी चाहिये। जिस प्रकार शर्कराप्रभा पृथ्वी के विषय में कहा गया है उसी प्रकार यावत् सातवीं पृथ्वी तक समझना चाहिये।
विवेचन - दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी के नीचे भी घनोदधि बीस हजार योजन तथा घनवात, तनुवात और आकाश असंख्यात हजार योजन की मोटाई वाले हैं। इसी तरह सातवीं नरक तक समझ लेना चाहिये। सभी पृथ्वियों के घनोदधि आदि की मोटाई समान है।
रत्नप्रभा आदि में द्रव्यों की सत्ता इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्स बाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणीए अत्थि दव्वाइंवण्णओ कालणीललोहियहालिहसुक्किल्लाई गंधओ सुरभिगंधाई दुब्भिगंधाइं रसओ तित्तकडुयकसायअंबिलमहुराई फासओ कक्खडमउयगरुयलहुसीयउसिण-णिद्धलुक्खाइं संठाणओ परिमंडल वट्ट-तंस-चउरंसआयय-संठाणपरिणयाइं अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाई अण्णमण्णओगाढाई अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धाइं अण्णमण्णघडताए चिटुंति?
हंता अत्थि।
इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडस्स सोलस जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अस्थि दव्वाइं वण्णओ काल जाव परिणयाई? हंता अस्थि
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