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तृतीय प्रतिपत्ति - प्रथम नैरयिक उद्देशक - रत्नादि कांडों का मोटाई
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गोयमा! एक्कं जोयणसहस्सं बाहल्लेणं पण्णत्ते, एवं जाव रिटे। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहुले कंडे केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? गोयमा! चउरासीइ जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पण्णत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए आवबहुले कंडे केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? गोयमा! असीइजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते? गोयमा! वीसं जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पण्णत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते?
गोयमा! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते, एवं तणुवाएऽवि ओवासंतरेऽवि।
भावार्थ-प्रश्न- हे भगवन्! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का खरकाण्ड कितनी मोटाई वाला कहा गया है? .. उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का खरकाण्ड सोलह हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है। इसी प्रकार रिष्ट काण्ड तक की मोटाई समझनी चाहिये।
.. प्रश्न - हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का पंकबहुल काण्ड कितनी मोटाई वाला कहा गया है ? - उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का पंकबहुल काण्ड चौरासी हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है। - प्रश्न - हे भगवन्! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का अपबहुल कांड कितनी मोटाई वाला कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का अपबहुल कांड अस्सी हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है।
प्रश्न - हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का घनोदधि कितनी मोटाई वाला कहा गया है ? उत्तर-हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का घनोदधि बीस हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है। प्रश्न- हे भगवन्! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का घनवात कितनी मोटाई वाला कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का घनवात असंख्यात हजार योजन की मोटाई वाला कहा गया है। इसी प्रकार तनुवात और आकाश भी असंख्यात हजार योजन की मोटाई वाले कहे गये हैं।
विवेचन - रत्नप्रभा पथ्वी का खरकाण्ड सोलह हजार योजन का मोटा है। इसी के सोलह विभाग रूप रत्नकाण्ड आदि एक एक हजार योजन की मोटाई वाले हैं। रत्नप्रभा का पंकबहुल नाम का दूसरा काण्ड चौरासी हजार योजन मोटा है। तीसरा अपबहुल काण्ड अस्सी हजार योजन मोटा है।
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