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द्वितीय प्रतिपत्ति - स्त्रियों की स्थिति
उत्तर - वैमानिक देव स्त्रियाँ दो प्रकार की कही गई है। यथा - १. सौधर्म कल्प वैमानिक देव स्त्रियाँ और २. ईशानकल्प वैमानिक देव स्त्रियाँ । इस प्रकार वैमानिक देव स्त्रियाँ कही गई है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में देव स्त्रियों का वर्णन किया गया है। देवों के चार भेद हैं - १. भवनवासी २. वाणव्यंतर ३. ज्योतिषी और ४. वैमानिक, उसी प्रकार देवस्त्रियाँ भी चार प्रकार की कही गई है। भवनपति देवों के दस भेदों के अनुसार भवनवासी देवियाँ दस प्रकार की होती है। वाणव्यंतर देवों के आठ भेदों के अनुसार उनकी स्त्रियाँ भी आठ प्रकार की होती है। ज्योतिषी देवों के पांच भेदों के अनुसार ज्योतिषी देव स्त्रियों के भी पांच भेद समझने चाहिये। वैमानिक देव स्त्रियों के दो भेद बताये हैं - सौधर्म कल्प वैमानिक देव स्त्रियां और ईशानकल्प वैमानिक देवस्त्रियां। वैमानिक देवों में दूसरे देवलोक तक ही स्त्रियाँ है आगे के देवलोकों में नहीं, इसलिये वैमानिक देव स्त्रियों के दो ही भेद किये गये हैं।
. स्त्रियों की स्थिति इत्थीणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? . गोयमा! एगेणं आएसेणं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई, एक्केणं आएसेणं जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं णवपलिओवमाई, एगेणं आएसेणं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तपलिओवमाई, एगेणं आएसेणं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पण्णासं पलिओवमाइं॥४६॥
कठिन शब्दार्थ - आएसेणं - आदेश (प्रकार-अपेक्षा) से भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! स्त्रियों की कितने काल की स्थिति कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! स्त्रियों की स्थिति एक (पहली) अपेक्षा से जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की है। एक (दूसरी) अपेक्षा से जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की है। एक (तीसरी) अपेक्षा से जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सात पल्योपम की है। एक (चौथी) अपेक्षा से जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पचास पल्योपम की कही गई है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में अपेक्षा भेद से स्त्रियों की चार प्रकार की भवस्थिति का निरूपण किया गया है जो इस प्रकार हैं -
१. एक अपेक्षा से स्त्रियों की भवस्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त है। यह तिर्यंच स्त्री और मनुष्य स्त्री की अपेक्षा समझना चाहिये। उत्कृष्ट स्थिति ५५ पल्योपम की है यह दूसरे देवलोक-ईशानकल्प की अपरिगृहीता देवी की अपेक्षा से समझना चाहिये।
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