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द्वितीय प्रतिपत्ति - स्त्रियों के भेद-प्रभेद
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अकम्मभूमियाओ तीसविहाओ पण्णत्ताओ तं जहा - पंचसु हेमवएस पंचसु एरण्णवएसु पंचसु हरिवासेसु पंचसु रम्मरावासेसु पंचसु देवकुरासु पंचसु उत्तरकुरासु से तं. अकम्मभूमियाओ।
भावार्थ - प्रश्न - अकर्मभूमिज स्त्रियाँ कितने प्रकार की कही गई हैं ?
उत्तर - अकर्मभूमिज स्त्रियाँ तीस प्रकार की कही गई हैं, वे इस प्रकार हैं - पांच हेमवत क्षेत्रों में उत्पन्न हुई, पांच ऐरण्यवत में उत्पन्न हुई, पांच हरिवर्ष में उत्पन्न हुई, पांच रम्यकवर्ष में उत्पन्न हुई, पांच देवकुरु में उत्पन्न हुई और पांच उत्तरकुरु में उत्पन्न हुई, इस प्रकार से ये तीस अकर्मभूमिज स्त्रियाँ हैं।
से किं तं कम्मभूमियाओ?
कम्मभूमियाओ पण्णरसविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पंचसु भरहेस, पंचसु एरवएस पंचसु महाविदेहेसु, से तं कम्मभूमग मणुस्सित्थिओ, से तं मणुस्सित्थीओ॥
भावार्थ - प्रश्न - कर्मभूमिज स्त्रियां कितने प्रकार की कही गई हैं ?
उत्तर - कर्मभूमिज स्त्रियां पन्द्रह प्रकार की कही गई हैं वे इस प्रकार हैं - पांचं भरत में उत्पन्न, पांच ऐरवत में उत्पन्न और पांच महाविदेह क्षेत्रों में उत्पन्न स्त्रियाँ, इस प्रकार कर्मभूमिज स्त्रियाँ पन्द्रह प्रकार की कही गई हैं। यह मनुष्य स्त्रियों का वर्णन हुआ।
.. विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में मनुष्य स्त्रियों के भेद बतलाये गये हैं। गर्भज मनुष्य के जैसे १०१ 'भेद कहे हैं उसी प्रकार मनुष्य स्त्रियों के भी १०१ भेद इस प्रकार होते हैं - पन्द्रह कर्मभूमि क्षेत्रों (पांच भरत, पांच ऐरवत और पांच महाविदेह) में उत्पन्न होने वाली पन्द्रह कर्मभूमिज स्त्रियाँ, तीस अकर्मभूमि. क्षेत्रों (५ हेमवत ५ ऐरण्यवत ५ हरिवास ५ रम्यकवास ५ देवकुरु और ५ उत्तरकुरु) में उत्पन्न होने वाली तीस अकर्मभूमिज स्त्रियाँ और छप्पन अंतरद्वीपों में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों की , स्त्रियाँ कुल १०१ भेद होते हैं।
देव स्त्रियों के भेद -से किं तं देवित्थियाओ?
देवित्थियाओ चउव्विहाओ पण्णत्ताओ तं जहा - भवणवासि देवित्थियाओ वाणमंतर देवित्थियाओ जोइसिय देवित्थियाओ वेमाणिय देवित्थियाओ।
भावार्थ - प्रश्न - देव स्त्रियाँ कितनी प्रकार की कही गई हैं?
उत्तर - देव स्त्रियाँ चार प्रकार की कही गई हैं वे इस प्रकार हैं - १. भवनवासी देव स्त्रियां २. वाणव्यंतर देव स्त्रियाँ ३. ज्योतिषी देव स्त्रियाँ और ४. वैमानिक देव स्त्रियाँ।
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