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________________ जालिकुमार नामक प्रथम अध्ययन जालिकुमार का परिचय एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे रिद्धत्थिमिय- समिद्धे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, धारिणी देवी, सीहो सुमिणे, जालि कुमारो जहा मेहो अट्ठट्ठओ दाओ जाव उप्पिं पासाए जाव विहरड़ । कठिन शब्दार्थ - रिद्धित्थिमियसमिद्धे - ऋद्धिस्तिमित समृद्धं - ऋद्धि-गगन चुंबी प्रासादों से अलंकृत स्तिमित - स्व पर चक्रभय रहित समृद्ध - धन-धान्य ऐश्वर्य वैभव संपन्न, अट्ठट्ठओ - आठ-आठ, दाओ - दात-विवाह के साथ लड़की की ओर से आने वाला दहेज, उप्पं पासा - प्रासाद के ऊपर सुखपूर्वक, विहरइ - विचरण करता है। भावार्थ - हे जम्बू ! उस काल और उस समय में राजगृह नामक नगर था । वह ऋद्ध सम्पन्न, स्वचक्री-परचक्री के भय से रहित समृद्धशाली था । उस नगर के बाहर गुणशील नाम का उद्यान था। उस नगर में श्रेणिक नाम का राजा था। उसकी धारिणी नाम की रानी थी। उसने किसी रात्रि में सिंह का स्वप्न देखा । यथा समय उसके पुत्र उत्पन्न हुआ । उसका नाम 'जालिकुमार' रखा। इसका वर्णन मेघकुमार के समान जानना चाहिये । युवावस्था प्राप्त होने पर आठ राजकुमारियों के साथ उसका विवाह हुआ । आठ-आठ प्रासाद आदि दात - दहेज दिया यावत् वह उनके साथ प्रासाद में सुख का अनुभव करता हुआ रहता है। विवेचन - ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र अ० १ में वर्णित मेघकुमार के समान ही इस अध्ययन में जालिकुमार का वर्णन किया गया है। अतः मेघकुमार के समान ही जालिकुमार का जन्मोत्सव, पांच धायों द्वारा लालन पालन, बहत्तर कलाओं का अध्ययन तथा विवाह आदि कार्य संपन्न हुए । श्वसुर के द्वारा दहेज में वस्त्र, अलंकार, रत्न आदि आठ-आठ प्रकार की वस्तुएं मेघकुमार के समान ही इनको विवाह में प्राप्त हुई थी। इस प्रकार जालिकुमार निज महलों में अपने पूर्व उपार्जित शुभ कर्मों के कारण अत्युत्तम गीत नृत्यादि पांच प्रकार के अनुपम विषय सुखों का अनुभव करता हुआ विचरता था । दीक्षा, तपाराधना और अनशन सामी समोसढे, सेणिओ णिग्गओ, जहा मेहो तहा जाली वि णिग्गओ, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004192
Book TitleAnuttaropapatikdasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages86
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuttaropapatikdasha
File Size12 MB
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