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________________ पुष्पिका सूत्र अहं वाणारसीए णयरीए सोमिले णामं माहणरिसि अचंतमाहणकुलप्पसूए, तए णं मए वयाइं चिण्णाई जाव जूवा णिक्खित्ता, तए णं मए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य जाव रोविया, तए णं मए सुबहु लोह० जाव घडावेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं कुडुंबे ठवेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं आपुच्छित्ता सुबहुं लोह० जाव गहाय मुण्डे जाव पव्वइए, पइए वि य णं समाणे छट्ठछट्टेणं जाव विहरामि तं सेयं खलु ममं इयाणिं कल्लं जाव जलते बहवे तावसे दिट्ठाभट्ठे य पुव्वसंगइए य परियायसंगइए य आपुच्छित्ता आसमसं सिर्याणि य बहूइं सत्तसयाई अणुमाणइत्ता वागलवत्थणियत्थस्स किढिणसंकाइयगहियसभण्डोवगरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महपत्थाणं पत्थावेत्तए, एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं जाव जलते बहवे तावसे य दिट्ठाभट्टे य पुव्वसंगइए य तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हs - जत्थेव णं अहं जलंसि वा एवं थलंसि वा दुग्गंसि वा णिण्णंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलिज्ज वा पवडिज्ज वा, णो खलु मे कप्पड़ पचट्ठित्तएत्तिकट्टु अयमेयारूवं' अभिग्गहं अभिfroes अभिगिoिहत्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहपत्थाणं पत्थिए से सोमिले माहणरिसी पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागए, असोगवरपायवस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदं वड्डेइ वड्डेत्ता उवलेवणसंमज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महाणई जहा सिवो जाव गंगाओ महाणईओ पचत्तर पञ्चत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेडं रएइ रइत्ता सरगं करेइ करेत्ता जाव बलिवइस्सदेवं करेइ करेत्ता कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ॥१०१॥ τε कठिन शब्दार्थ - अणिच्चजागरियं - अनित्यजागरण, दिट्ठाभट्ठे दृष्ट भासित- जो कभी देखे हुए यथार्थ भाव हैं उनसे भ्रष्ट - स्खलित, पुव्वसंगइए - पूर्व संगतिक - पूर्वकाल में जिनसे संगतिमित्रता हुई थी ऐसे, परियायसंगइए - पर्याय संगतिक - समान तापस पर्याय वाले, आसमसंसियाणि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004191
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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