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________________ ११४ उववाइय सुत्त भावार्थ - अधिक क्या ? कल्पवृक्ष के समान अलंकृत और विभूषित होकर, जब नरपति मज्जनगृह से बाहर निकले उस समय कोरंट पुष्प की मालाओं से युक्त छत्र धारण किये हुए थे और आजुबाजु चार चामर डुलाये जा रहे थे। मनुष्यों को उसके दर्शन होने पर उन्होंने मंगल के लिए जयध्वनि की। मजणघराउ पडिणिक्खमित्ता अणेग-गण-णायगदंडणायग-राईसर-तलवरमाडंबिय-कोडुंबिय-इब्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाह-दूय-संधिवाल-सद्धि-संपरिवुडे धवल-महामेह-णिग्गए इव गहगण-दिप्यंतरिक्ख-तारागणाण मज्झें ससिव्व पियदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसालाजेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ। भावार्थ - मज्जनगृह से निकल कर अनेक गणनायक, दंडनायक, राजा, ईश्वर, तलवर, माडम्बिक, कौटुम्बिक, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति, सार्थवाह, दूत और संधिपाल से घिरे हुए, सफेद महामेघ से निकले. हुए-से ग्रहगण, नक्षत्र और तारागण के मध्य में चन्द्र के समान प्रिय दर्शन वाला, नरपति-राजा जहाँ बाहरी सभाभवन था, जहाँ आभिषेक्य-प्रधान श्रेष्ठ हस्ति था वहां आया। . अभिवन्दना के लिए प्रस्थान उवागच्छित्ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई णरवई दूरूढे। भावार्थ - वहाँ आकर, अञ्जनगिरि-काजल के पर्वत के शिखर के समान गजपति पर नरपति सवार हुआ। तएणं तस्स कोणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसिक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगलया पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया। भावार्थ - उस भंभसारपुत्र कोणिक राजा के आभिषेक्य हस्तिरत्न पर सवार हो जाने पर सर्व प्रथम ये आठ मंगल क्रमश रवाना किये गये। तं जहा-सोवत्थिय १, सिरिवच्छ २, णंदियावत्त ३, वद्धमाणक ४, भद्दासण ५, कलस ६, मच्छ ७, दप्पण ८। भावार्थ - वे इस प्रकार हैं-१. स्वस्तिक २. श्रीवत्स ३. नन्द्यावर्त ४. वर्द्धमानक ५. भद्रासन ६. कलश ७. मत्स्य और ८. दर्पण। तयाऽणंतरं च णं पुण्ण-कलस-भिंगारं, दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दसणरइयआलोयदरिसणिजा वाउद्धय-विजयवेजयंती उस्सिया गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004190
Book TitleUvavaiya Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size23 MB
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