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अभिवन्दना की तैयारी
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तएणं से जाणसालिए बलवाउयस्स एयमढे आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ। पडिसुणित्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छइ।
भावार्थ - तब यानशालिक ने सेनानायक की आज्ञा के वचन विनय से सुने। इसके बाद जहाँ यानशाला थी वहाँ आया।
तेणेव उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खइ। पच्चुवेक्खित्ता जाणाइं संपमज्जेइ। संपमजेत्ता जाणाई णीणेइ। (जाणाई संवट्टेइ संवट्टेइत्ता) जाणाई णीणेत्ता जाणाई संवट्टेइ। जाणाई संवदेत्ता जाणाणं दूसे पवीणेइ।
भावार्थ - उसने यानशाला में आकर यानों का निरीक्षण किया। उनके ऊपर की धूलि पोंछी। यानों को बाहर निकाले। योग्य स्थान पर इकट्ठे किये। उनके ऊपर के ढंके हुए वस्त्रों-दूष्यों को अलग हटाए। अथवा उन्हें झूल से ढंके।
पवीणेत्ता जाणाई समलंकरेइ समलंकरेत्ता जाणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ। भावार्थ - यानों को यंत्र आदि से अलंकृत किये उन्हें श्रेष्ठ भूषणों से भूषित किये। करेत्ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ। तेणेव उवागच्छित्ता वाहणाई
पच्चुवेक्खडा
भावार्थ - वह जहाँ वाहनशाला थी वहाँ गया। उसने वाहनों का निरीक्षण किया।
पच्चुवेक्खित्ता वाहणाइं संपमज्जेइ। संपमज्जेत्ता वाहणाइं णीणेइ। णीणेत्ता वाहणाई अप्फालेइ। अप्फालेत्ता दूसे पवीणेइ। पवीणेत्ता वाहणाइं समलंकरेइ।
समलंकरेत्ता वरभंडगमंडियाइं करेइ। ..... भावार्थ - वाहनों का संप्रमार्जन किया। उन्हें बाहर निकाले। हाथ से थपथपाये। मच्छर आदि से रक्षा के लिये उन पर ढंके हुए वस्त्र अलग हटाये अथवा उन्हें वस्त्र से ढंके। उन्हें अलंकृत किये। श्रेष्ठ आभरणों से सजाए। . करेत्ता वाहणाइं जाणाइं जोएइ। जोएत्ता पओयलटुिं पओयधरे य समं आडहइ।
भावार्थ - वाहनों-बैल आदि को यानों-गाड़ी, रथ आदि में जोड़े। पयोयलट्ठि-वाहनों को हांकने की लकड़ी आदि अथवा चाबुक और पयोयधरों-गाड़ी खेड़ने वाले या गाड़ीवान् को साथ में नियुक्त किये। . आडहित्ता वर्ल्ड वट्टमग्गं गाहेइ। गाहेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता बलवाउयस्स एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ। __भावार्थ - उन जुते हुए यानों को मार्ग पर खड़े किये। फिर वह जहाँ सेनानायक था वहाँ आया और उनकी आज्ञा के पालन की सूचना दी।
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