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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 को प्राप्त पामल चित्त वाला और किसी कारण से साध्वी ने अपने छोटे पुत्र आदि को दीक्षा दे दी हो, वह बालक होने से नग्न रहता हो, ये सब वस्त्ररहित साधु उनके रक्षक दूसरे साधु न होने से वस्त्रसहित साध्वियों के साथ रहता हुआ भगवान् की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करते हैं ।
विवेचन - साधु साध्वी के एकत्र स्थान, शय्या, निषद्या के पांच बोल - उत्सर्ग रूप में साधु, साध्वी का एक जगह कायोत्सर्ग करना, स्वाध्याय करना, रहना, सोना आदि निषिद्ध है। परन्तु पाँच बोलों से साधु, साध्वी एक जगह कायोत्सर्ग, स्वाध्याय करें तथा एक जगह रहें और शयन करें तो वे भगवान् की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते हैं।
१. दुर्भिक्षादि कारणों से कोई साधु, साध्वी एक ऐसी लम्बी अटवी में चले जाय; जहाँ बीच में न ग्राम हो और न लोगों का आना जाना हो। वहाँ उस अटवी में साधु साध्वी एक जगह रह सकते हैं और कायोत्सर्ग आदि कर सकते हैं।
२. कोई साधु साध्वी, किसी ग्राम, नगर या राजधानी में आये हों। वहाँ उनमें से एक को रहने के लिये जगह मिल जाय और दूसरों को न मिले। ऐसी अवस्था में साधु, साध्वी एक जगह रह सकते हैं और कायोत्सर्ग आदि कर सकते हैं।
३. कोई साधु या साध्वी नागकुमार, सुवर्ण कुमार आदि के देहरे मन्दिर में उतरे हों। देहरा सूना हो अथवा वहाँ बहुत से लोग हों और कोई उनके नायक न हो तो साध्वी की रक्षा के लिये दोनों एक स्थान पर रह सकते हैं और कायोत्सर्ग आदि कर सकते हैं।
४. कहीं चोर दिखाई दें और वे वस्त्र छीनने के लिये साध्वी को पकड़ना चाहते हों तो साध्वी की रक्षा के लिये साधु साध्वी एक स्थान पर रह सकते हैं और कायोत्सर्ग, स्वाध्याय आदि कर सकते हैं।
५. कोई दुराचारी पुरुष साध्वी को शील भ्रष्ट करने की इच्छा से पकड़ना चाहे तो ऐसे अवसर पर साध्वी की रक्षा के लिये साधु साध्वी एक स्थान पर रह सकते हैं और स्वाध्यायादि कर सकते हैं।
आस्रव संवर . पंच आसवदारा पण्णत्ता तंजहा - मिच्छत्तं, अविरई, पमाए, कसाया, जोगा । पंच संवरदारा पण्णत्ता तंजहा - सम्मत्तं, विरई, अपमाओ, अकसाइत्तं, अजोगित्तं ।
दण्ड और क्रिया ___पंच दंडा पण्णत्ता तंजहा - अट्ठादंडे, अणट्ठादंडे, हिंसादंडे, अकम्हादंडे, दिद्विविप्परियासियादंडे ।
. पंच किरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा - आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाण किरिया, मिच्छादसणवत्तिया । - मिच्छदिट्ठियाणं णेरइयाणं पंच किरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा - आरंभिया जाव
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