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________________ श्री स्थानांग सूत्र मोटी भद्रोत्तरा प्रतिमा तो द्वादश भक्त (पांच उपवास) से आरंभ कर चौबीस भक्त (ग्यारह उपवास) पर्यन्त ३९२ दिवस तपस्या से होती है जिसमें पारणे के दिन ४९ होते हैं। इसकी गाथा व स्थापना यंत्र इस प्रकार है - १० पंचादिगार संते, ठविडं मज्झं तु आइमणुपंतिं । उचियकमेण य सेसे, महइं भद्दोत्तरं जाण ।। ५ ६ ८ ९ १० ११ ११.५ ६ ७ ७ ८ ९ ७ ८ ९ ५ ८ ११ ७ १० ११ ५ ६ ७ ८ ९ १० ६ १० ५ ६ Jain Education International १० ६ ९ ५ ८ ११ ७ - ११ ७ १० ६ ९ - ५ १० ११ मोटी भद्रोत्तरा प्रतिमा तप दिन ३९२ पारणा दिन ४९ । पाँच स्थावर काय - पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति के जीव स्थावर नाम कर्म का उदय होने से स्थावर कहलाते हैं। उनकी काय अर्थात् राशि को स्थावर काय कहते हैं। स्थावर काय पांच हैं - १. इन्द्र स्थावर काय २. ब्रह्म स्थावर काय ३. शिल्प स्थावर काय ४. सम्मति स्थावर काय ५. प्राजापत्य स्थावर काय । ८ १. इन्द्र स्थावर काय - पृथ्वी काय का स्वामी इन्द्र हैं। इसलिए इसे इन्द्र स्थावर काय कहते हैं। २. ब्रह्म स्थावर काय अप्काय का स्वामी ब्रह्म है। इसलिए इसे ब्रह्म स्थावर काय कहते हैं। ३. शिल्प स्थावर काय - तेजस्काय का स्वामी शिल्प है। इसलिये यह शिल्प स्थावर काय कहलाती है। ४. सम्मति स्थावर काय कहलाती है। ५. प्राजापत्य स्थावर काय - वनस्पति काय का स्वामी प्रजापति है। इसलिये इसे प्राजापत्य स्थावर काय कहते हैं। 00000000 वायु का स्वामी सम्मति है। इसलिये यह सम्मति स्थावर काय शरीर वर्णन णेरइयाणं सरीरगा पंचवण्णा पंचरसा पण्णत्ता तंजहा - किण्हा णीला लोहिया For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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