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________________ नववाँ स्थान आठवें स्थान में आठ प्रकार से जीवादि पदार्थों का वर्णन करने के पश्चात् अब सूत्रकार नौवें स्थान में नौ-नौ प्रकार से इन पदार्थों का वर्णन करते हैं - विसांभोगिक करने के कारण णवेहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संभोइयं विसंभोइयं करेमाणे णाइक्कमइ तंजहाआयरिय पडिणीयं, उवज्झायपडिणीयं, थेरपडिणीयं, कुलपडिणीयं, गणपडिणीयं, संघ पडिणीयं, णाणपडिणीयं, दंसणपडिणीयं, चरित्तपडिणीयं। ब्रह्मचर्य अध्ययन, ब्रह्मचर्य गुप्तियाँ । णव बंभचेरा पण्णत्ता तंजहा - सत्य परिणा, लोगविजओ, सीओसणिजं, सम्मत्तं, आवंती, धूयं, विमोहो, उवहाणसुयं, महापरिण्णा । णव बंभचेर गुत्तीओ पण्णत्ताओं तंजहा - विवित्ताई सयणासणाइं सेवित्ता भवइ णो, इत्थिसंसत्ताई, णो पसुसंसत्ताई णो, पंडग संसत्ताइं, सयणासणाइं सेवित्ता भवइ, णो इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ, णो इत्थिठाणाइं सेवित्ता भवइ, णो इत्थीणं इंदियाइंमणोहराईमणोरमाइं आलोइत्ता णिज्झाइत्ता भवइ, णो पणीयरसभोई भवइ, णो पाणभोयणस्स अइमायं आहारए सया भवइ, पो पुव्वरयं पुव्वकीलियं समरित्ता भवइ, णो सहाणुवाई णो रूवाणुवाई णो सिलोगाणुवाई भवइ, णो साया सोक्ख पडिबद्धे यावि भवइ । णवबंभचेर अगुत्तीओ पण्णत्ताओ तंजहा - णो विवित्ताई सयणासणाइंसेवित्ता भवइ, इत्थीसंसत्ताई पसुसंसत्ताइं पंडगसंसत्ताइं सयणासणाइं सेवित्ता भवइ, इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ, इत्थीणं ठाणाई सेवित्ता भवइ, इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाई आलोइत्ता णिज्झाइत्ता भवइ, पणीयरसभोई भवइ, पाणभोयणस्स अइमायं आहारए सया भवइ, पुव्वरयं पुव्वकीलियं समरित्ता भवइ, सहाणुवाई रूवाणुवाई सिलोगाणुवाई भवइ, सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवइ॥१०१॥ .. कठिन शब्दार्थ - संभोइयं - सम्भोगी साधु को, पडिणीयं - प्रत्यनीक-प्रतिकूल चलने वाले को, सीओसणिज्जं - शीतोष्णीय, सायासोक्खपडिबद्धे - साता सुख में आसक्त, पणीयरसभोई - प्रणीतरसभोजी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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