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स्थान८
२११ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 दिव्वाए लेस्साए, दस दिसाओ उज्जोएमाणा पभासेमाणा महयाहय-गट्टगीयवाइयतंती तल ताल तुडिय घणमुइंग पडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ, जा वि य से तत्थ बाहिरब्भंतरिया परिसा भवइ, सा वि य णं आढाइ, परिजाणाइ, महारिहेणं आसणेणं उवणिमंतेइ, भासं वि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अब्भुटेंति - बहुं देवे ! भासउ, बहुं देवे भासउ ! से णं तओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाई कुलाइं भवंति इडाइं जाव बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाइ, से णं तत्थ पुमे भवइ सुरूवे, सुवण्णे, सुगंधे, सुरसे, सुफासे, इढे कंते मणामे अहीणस्सरे जाव मणामस्सरे आएज्जवयणे पच्चायाए, जा वि य से तत्थ बाहिरब्भंतरिया परिसा भवइ सा वि य णं आढाइ परिजाणाइ जाव बहुं अज्जउत्ते ! भासउ, बहुं अज्जउत्ते भासउ॥८५॥ .. कठिन शब्दार्थ - विउद्देज्जा - निवृत्त होता है, परिहाइस्सइ - घट जायगा, माहिए - गर्हित, जहाजैसे, तआगरेइ - रांगे की खान, सीसामरेइ - शीशे की खान, कवेल्लुवावाएड - कवेवू-नलिया पकाने के भट्टे की आग, किंसुकफुल्लसमाणाणि - किशुक-पलाश के फूल की तरह लाल, उक्कासहस्साई - हजारों उल्काओं को, झियायंति - सुलग रहे हैं, अणालोझ्य-पडिक्कंते - आलोयणा और प्रतिक्रमण किये बिना, आउक्खएणं - आयु क्षय होने पर, भवक्खएणं - भव क्षय होने पर, ठिक्खएणं- स्थिति क्षय होने पर, अणाएजवयणं- अनादेय वचन, महरिहेणं - बहुमूल्य-अच्छा, हारविराइयवच्छे - वक्षस्थल हारों से सुशोभित होता है, कडगतुडियर्थभियभुए - कड़े आदि बहुत से आभूषणों से हाथ भरे रहते हैं, अंगद कुंडलमउडगंड तलकण्णपीठधारी - अंगद, कुण्डल, मुकुट आदि आभूषणों से मण्डित, कल्लाणगपवरवत्थपरिहिए - शुभ और बहुमूल्य वस्त्र पहने हुए, कल्लाणगपबरंगंध-मल्लाणुलेवणधरे - शुभ और श्रेष्ठ चंदन आदि का लेप किये हुए, भासुरबोंदीभास्वर शरीर वाला, पलंबवणमालधरे - लम्बी लटकती हुई वनमाला को धारण किये हुए, दिव्वेणं - दिव्य, महया हय णट्टगीय वाइयतंतीतलताल तुडिय घणमुइंग पडुप्पवाइयरवेणं - विविध प्रकार के नाट्य, गीत, ताल, घन मृदंग आदि वादिन्त्रों के साथ । ' भावार्थ - आठ कारणों से मायावी पुरुष माया करके उसकी आलोयणा नहीं करता है, उसका प्रतिक्रमण नहीं करता है आत्मसाक्षी से निंदा नहीं करता है, गुरु के समक्ष आत्मनिन्दा नहीं करता है, उस दोष से निवृत्त नहीं होता है, शुभ विचार रूपी जल के द्वारा अतिचार रूपी कीचड़ को नहीं धोता
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