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स्थान ७
पश्चिम की ओर बहने वाली सिन्धु आदि सात महानदियां पुष्करोद समुद्र में जाकर मिलती हैं । इस प्रकार सब जगह क्षेत्र वर्षधर पर्वत और महानदियों का कथन कर देना चाहिए। ___ विवेचन - जम्बूद्वीप में वास (क्षेत्र) सात - मनुष्यों के रहने के स्थान को वास (वर्ष-क्षेत्र) कहते हैं। जम्बूद्वीप में चुल्लहिमवान, महाहिमवान आदि पर्वतों के बीच में आ जाने के कारण सात वास या क्षेत्र हो गए हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं - १. भरत २. हैमवत ३. हरि ४. विदेह ५. रम्यक ६. हैरण्यवत और ७. ऐरावत। ___ भरत से उत्तर की तरफ हैमवत क्षेत्र है। उससे उत्तर की तरफ हरि, इस तरह सभी क्षेत्र पहिले पहिले से उत्तर की तरफ हैं। व्यवहार नय की अपेक्षा जब दिशाओं का निश्चय किया जाता है अर्थात् जिधर सूर्योदय हो उसे पूर्व कहा जाता है तो ये सभी क्षेत्र मेरु पर्वत से दक्षिण की तरफ हैं। यद्यपि ये एक दूसरे से विरोधी दिशाओं में हैं फिर भी सूर्योदय की अपेक्षा ऐसा कहा जाता है। निश्चय नय से आठ रुचक प्रदेशों की अपेक्षा दिशाओं का निश्चय किया जाता है, तब ये क्षेत्र भिन्न भिन्न दिशाओं में कहे जाएंगे।
वर्षधर पर्वत सात- ऊपर लिखे हुए सात क्षेत्रों का विभाग करने वाले सात वर्षधर पर्वत हैं - १. चुलहिमवान् २. महाहिमवान् ३. निषध ४. नीलवान् ५. रुक्मी ६. शिखरी ७. मन्दर (मेरु)। ..जम्बूद्वीप में सात महानदियां पूर्व की तरफ लवण समुद्र में गिरती हैं। १. गंगा २.रोहिता ३. हरि ४. सीता ५. नारी ६. सुवर्णकूला और ७. रक्ता। ..सात महानदियाँ पश्चिम की तरफ लवण समुद्र में गिरती हैं - १. सिन्धु २. रोहितांशा ३. हरिकान्ता ४. सीतोदा ५. नरकान्ता ६. रूप्यकूला ७. रक्तवती।
कुलकर वर्णन _जंबूहीवे दीवे भारहे वासे तीयाए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था तंजहा
मित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे ।
विमलयोसे सुघोसे य, महाघोस य सत्तमे ॥ १॥ जंबूहीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था तंजहा - .
पढमित्य विमल वाहण, चक्खुमं जसमं चउत्थमभिचंदे । .
तत्तो य पसेणई पुण मरुदेवे चेव णाभी य ॥२॥ ' एएसिणं सत्तण्हं कुलगराणं सत्त भारियाओ हुत्या तंजहा
चंदजसा चंदकांता सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य । - सिरिकंता मरुदेवी, कुलगर इत्थीण णामाइं ॥३॥
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