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श्री स्थानांग सूत्र
दीवपुरच्छिमद्धे णं सत्त महाणईओ पच्चत्याभिमुहाओ लवणसमुदं समुति तंजहा - सिंधु जाव रत्तवई। धायइ संडदीवपचत्थिमद्धेणं सत्त वासा एवं चेव, णवरं पुरत्यामिभमुहाओ लवणसमुहं समुप्पेंति, पच्चत्वाभिमुहाओ कालोदं समुप्पेंति सेसं तं चेव । पुक्खरवरदीवड पुरच्छिमद्धेणं सत्त वासा तहेव, णवरं पुरत्याभिमुहाओं पुक्खरोदं समुदं समुप्पेंति, पच्चत्याभिमुहाओ कालोदं समुदं समुप्पेंति, सेसं तं 'चेव, एवं पच्चत्यिमद्धे वि, णवरं पुरत्थाभिमुहाओ कालोदं समुई समुप्पेंति, पच्चत्वाभिमुहाओ पुक्खरोदं समुहं समुष्पेंति। सव्वत्थ वासा वासहरपव्वया महाणईओ य भणियव्वाणि॥६९॥
कठिन शब्दार्थ - पुरत्याभिमुहाओ - पूर्वाभिमुखी-पूर्व की ओर बहने वाली, समुपति - मिलती हैं, पच्चत्याभिमुहाओ - पश्चिमाभिमुखी-पश्चिम की ओर बहने वाली ।
· भावार्थ - इस जम्बूद्वीप में सात वास-क्षेत्र कहे गये हैं यथा - भरत, ऐरवत, हेमवय, हिरण्णवय, . . हरिवास, रम्यकवास, महाविदेह । इस जम्बूद्वीप में सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं यथा - चुल्लहिमवान महाहिमवान्, निषध, नीलवान्, रुक्मी, शिखरी और मन्दर यानी मेरु पर्वत । इस जम्बूद्वीप में पूर्व की
ओर बहने वाली सात महानदियां लवण समुद्र में जाकर मिलती हैं यथा - गङ्गा, रोहिता, हरिसलिला, सीता, नरकान्ता, सुवर्णकूला और रक्ता । इस जम्बूद्वीप में पश्चिम की ओर बहने वाली सात महानदियाँ लवण समुद्र में जाकर मिलती हैं यथा - सिन्धु, रोहितांशा, हरिकान्ता, सीतोदा, नारीकान्ता, रुप्यकूला
और रक्तवती । धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध में सात क्षेत्र कहे गये हैं यथा - भरत क्षेत्र यावत् महाविदेह क्षेत्र । धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध में सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं यथा - चुल्लहिमवान् यावत् मेरुपर्वत । धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध में पूर्व की ओर बहने वाली सात महानदियाँ कालोद समुद्र में जाकर गिरती हैं यथा - गङ्गा यावत् रक्ता । धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध में पश्चिम की ओर बहने वाली सात महानदियाँ लवणसमुद्र में जाकर मिलती हैं यथा - सिन्धु यावत् रक्तवती । धातकीखण्ड द्वीप के पश्चिमार्द्ध में इसी तरह सात क्षेत्र, सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं और पूर्व की
ओर बहने वाली सात महानदियां लवणसमुद्र में जाकर मिलती हैं तथा पश्चिम की ओर बहने वाली सात महानदियाँ कालोद समुद्र में जाकर मिलती हैं । अर्द्धपुष्कर द्वीप के पूर्वार्द्ध में सात क्षेत्र और सात वर्षधर पर्वत इसी तरह कहे गये हैं। पूर्व की ओर बहने वाली सात महानदियाँ पुष्करोद समुद्र में जाकर मिलती है और पश्चिम की ओर बहने वाली सिन्धु आदि सात महानदियां कालोद समुद्र में जाकर मिलती है । इसी तरह अर्द्धपुष्कर द्वीप के पश्चिमार्द्ध में भी सात क्षेत्र और सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं और पूर्व की ओर बहने वाली गंगा आदि सात महानदियाँ कालोद समुद्र में जाकर मिलती हैं तथा
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