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स्थान ६
सिंहस्रोता, अन्तर्वाहिनी, उर्मिमालिनी, फेनमालिनी और गम्भीरमालिनी । जैसा जम्बूद्वीप का अधिकार कहा है वैसा ही सारा अधिकार धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्द्ध यावत् अर्द्धपुष्करवरद्वीप पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्द्ध में अकर्मभूमियाँ, नदियाँ, अन्तर्नदियाँ आदि सब कह देना चाहिए ।
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छह ऋतुएं कही गई हैं यथा १. प्रावृट् - आषाढ और श्रावण मास । २. वर्षा - भाद्रपद और आश्विन । ३. शरद् - कार्तिक और मिगसर । ४. हेमन्त - पौष और माघ । ५. वसन्त - फाल्गुन और चैत्र । ६. ग्रीष्म - वैशाख और ज्येष्ठ । छह अवमरात्रि यानी न्यून तिथि वाले पक्ष कहे गये हैं अर्थात् चन्द्रमास की अपेक्षा छह पखवाड़ों में एक एक तिथि घटती है यथा - तृतीय पर्व यानी लौकिक ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा तीसरा पक्ष अर्थात् आषाढ मास का कृष्ण पक्ष, भाद्रपद का कृष्ण पक्ष, कार्तिक मास का कृष्ण पक्ष, पौष का कृष्ण पक्ष, फाल्गुन का कृष्ण पक्ष और वैशाख का कृष्ण पक्ष । छह अतिरात्रि यानी अधिक तिथि वाले पक्ष कहे गये हैं यानी सूर्य मास की अपेक्षा छह पखवाड़ों में एक एक तिथि बढ़ती है यथा - चौथा पर्व यानी लौकिक ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा चौथा पक्ष अर्थात् आषाढ मास का शुक्ल पक्ष, भाद्रपद का शुक्ल पक्ष, कार्तिक का शुक्ल पक्ष, पौष का शुक्ल पक्ष, फाल्गुन का शुक्ल पक्ष और वैशाख का शुक्ल पक्ष । "
२. ग्रीष्म- ज्येष्ठ और आषाढ ।
३. वर्षा - श्रावण और भाद्रपद । ४. शरद् - आश्विन और कार्तिक ।
५. शीत - मिगसर और पौष ।
६. हेमन्त - माघ और फाल्गुन ।
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विवेचन - अकर्म भूमि- जहां असि, मसि और कृषि किसी प्रकार का कर्म करके आजीविका नहीं करते हैं, ऐसे क्षेत्रों को अकर्म भूमियां कहते हैं। जम्बूद्वीप में छह अकर्म भूमियां हैं - १. हैमवत् २. हैरण्यवत् ३. हरिवर्ष ४. रम्यकवर्ष ५. देवकुरु ६. उत्तरकुरु । जंबूद्वीप में सात वर्ष क्षेत्र है। परंतु यहां छठा स्थानक का कथन होने से छह कहे हैं। अथवा वर्षधर पर्वतों के संबंध से छह क्षेत्र कहे हैं। वर्ष अर्थात् क्षेत्र को धारण करने वाला यानी मर्यादा करने वाला वर्षधर पर्वत कहलाता है।
ऋतु - दो मास का काल विशेष ऋतु कहलाता है। ऋतुएं छह होती है - १. आषाढ और श्रावण मास में प्रावद् ऋतु होती है २. भाद्रपद और आश्विन मास में वर्षा ३. कार्तिक और मार्गशीर्ष में शरद् ४. पौष और माघ में हेमन्त ५. फाल्गुन और चैत्र में वसन्त ६. वैशाख और ज्येष्ठ में ग्रीष्म । यह आगमानुसार ऋतुएं कही गयी हैं।
ऋतुओं के लिए लोक व्यवहार इस प्रकार हैं -
१. वसन्त - चैत्र और वैशाख ।
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