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श्री स्थानांग सूत्र
उभयकूले छ अंतरणईओ पण्णत्ताओ तंजहा - खीराओ, सीहसोआ, अंतोवाहिणी, उम्मिमालिणी, फेणमालिणी, गंभीरमालिणी । धायईसंडदीवपुरच्छिमद्धेणं छ अकम्मभूमीओ पण्णत्ताओ तंजहा - हेमवए, एवं जहा जंबूहीवे दीवे तहा णई जाव अंतरणईओ जाव पुक्खरवरदीवद्ध पच्चत्थिमद्धे भाणियव्वं ।
ऋतुएँ क्षयतिथियाँ वृद्धितिथियाँ छ उऊ पण्णत्ताओ तंजहा - पाउसे, वरिसारत्ते, सरए, हेमंते, वसंते, गिम्हे । छ ओमरत्ता पण्णत्ता तंजहा- तईए पव्वे, सत्तमे पव्वे, एक्कारसमे पव्वे, पण्णरसमे पव्वे, एगुणवीसइमे पव्वे, तेवीसइमे पव्वे । छ अइरत्ता पण्णत्ता तंजहा- चउत्थे पव्वे, अट्ठमे पव्वे, दुवालसमे पव्वे, सोलसमे पव्वे, वीसइमे पव्वे, चउवीसइमे पव्वे॥५५॥
कठिन शब्दार्थ - अकम्मभूमीओ - अकर्मभूमियाँ, वासहरपव्यया - वर्षधर पर्वत, कूडा - कूट, महदहा - महाद्रह, महड्डियाओ - महान् ऋद्धि वाली, अंतरणईओ - अन्तर्नदियां, उऊ - ऋतुएं, पाउसे - प्रावृट्, वरिसारते - वर्षा, सरए - शरद, हेमंते - हेमन्त, वसंते - वसन्त, गिम्हे - ग्रीष्म, ओमरत्ता - अवम रात्रि-घटती तिथि, पव्वे - पर्व, अइरत्ता - अतित रात्रि-बढ़ती तिथि।
भावार्थ - इस जम्बूद्वीप में छह अकर्मभूमियाँ कही गई है यथा - हेमवय, हिरण्णवय, हरिवर्ष, रम्यकवर्ष, देवकुरु, उत्तरकुरु । इस जम्बूद्वीप में छह क्षेत्र कहे गये हैं यथा - भरत, एरवत, हेमवय, हिरण्णवय, हरिवर्ष, रम्यकवर्ष । इस जम्बूद्वीप में छह वर्षधर पर्वत कहे गये हैं यथा - चुल्लहिमवान्, महाहिमवान्, निषध, नीलवान्, रुक्मी और शिखरी । इस जम्बूद्दीप में मेरु पर्वत के दक्षिण दिशा में छह कूट कहे गये हैं यथा - चुल्लहिमवान् कूट, वैश्रमणकूट, महाहिमवान् कूट, वेरुलियकूट, निषधकूट और रुचककूट । इस जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर दिशा में छह कूट कहे गये हैं यथा - नीलवंतकूट, उपदर्शनकूट, रुक्मीकूट, मणिकंचनकूट, शिखरी कूट, तिगिच्छकूट । इस जम्बूद्वीप में छह महाद्रह कहे गये हैं यथा - पद्मद्रह, महापद्मद्रह, तिगिच्छद्रह, केशरीद्रह, महापुण्डरीकद्रह, पुण्डरीकद्रह । वहाँ महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थिति वाली छह देवियाँ रहती हैं यथा - श्री, ही, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी। इस जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण दिशा में छह महानदियाँ कही गई हैं यथा - गंगा, सिन्धु, रोहिता, रोहितांशा, हरी और हरिकान्ता । इस जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर दिशा में छह महानदियाँ कही गई हैं यथा - नरकान्ता, नारीकान्ता, सुवर्णकूला, रुप्यकूला, रक्ता, रक्तवती । इस जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व दिशा में सीता महानदी के दोनों तटों पर छह अन्तर्नदियाँ कही गई हैं यथा - गाहाक्ती, द्रहवती, पङ्कवती, तप्तजला, मत्तजला, उन्मत्तजला । इस जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी के दोनों तटों पर छह अन्तर्नदियों कही गई हैं यथा - क्षीरोदा,'
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