________________
- [8]
' ९३-९७
. विषय पृष्ठ विषय
पृष्ठ प्रेम-प्रत्यया, द्वेष-प्रत्यया क्रिया ४४-४६/ नैरयिक आदि की गति आगति ७०-७१ गर्दा-विवेचन
४६-४७/ चौबीस दण्डकों में द्विविध जीव ७१-७४ प्रत्याख्यान-विवेचन
४६-४७ | जीव की द्विविध अनुभूतियाँ ७५-७८ विद्या और चरण ...
.४८/ द्वितीय स्थान : तृतीय उद्देशक साधना के बाधक आरम्भ और परिग्रह । ४९-५०|शब्द-विवेचन ।
७९ आरम्भ और परिग्रह के त्याग से लाभ। ४९-५० पुद्गल-विश्लेषण ... धर्म श्रवण और श्रद्धा
५०| आचार और प्रतिमा के दो-दो भेद । दो प्रकार का समा-काल
| सामायिक के दो भेद द्विविध उन्माद
५०-५१/ उपपात, उद्वर्तन दण्ड-विवेचन
. ५०-५१/ कायस्थिति, भवस्थिति दर्शन-विवेचन
५१-५२ जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति . ९१-९२ सम्यग्-ज्ञान-विवेचन
५३-५७/ जम्बूद्वीप में पर्वतों की समानता धर्म-विवेचन
५७-६१ जम्बूद्वीप में सरोवर-सरिताओं की समानता १०२ सराग-संयम, वीतराग-संयम ६१-६२ जम्बूद्वीप की काल-व्यवस्था, जीव-अवस्था १०३ स्थावर वर्णन ६२| जम्बूद्वीप के ग्रह-नक्षत्र
१०५-१०६ सूक्ष्म-बादर, पर्याप्तक-अपर्याप्तक ६३ जम्बूद्वीपीय वेदिका
१०७परिणत-अपरिणत
६४/ धातकीखण्डद्वीप की अवस्थिति.. १०८-१११ गति समापनक-अगति समापनक ६४| पुष्करवर द्वीप की अवस्थिति ११२-११३ अन्तरावगाढ-परम्परावगाढ ६४ चौसठ इन्द्रों के नाम
११३-११५ काल-अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी ___६५/ द्वितीय स्थान : चतुर्थ उद्देशक . लोकाकाश-अलोकाकाश
६५/ समय, आवलिका आदि का स्वरूप द्विविध शरीर-वर्णन
. १२१ दो शुभ दिशाएँ ____६६-६८| बंध के दो भेद
१२२ द्वितीय स्थान : द्वितीय उद्देशक दो प्रकार की उदीरणा कल्पोपपन-कल्पातीत ६९-७० | आत्मा द्वारा शरीर का त्याग
१२३ चार स्थितिक-गतिरतिक ६९-७० केवली-धर्म-श्रवण का साधन
६५/ दो राशि
१२३
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org