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स्थान १ उद्देशक १ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 हणगाणं- अजघन्योत्कृष्ट अवगाहना वाले, अजहण्णुक्कोसठियाणं - अजघन्योत्कृष्ट स्थिति वाले, वण्णगंधरसफासाणं - वर्ण, गंध, रस स्पर्श वाले पुद्गल स्कंधों की, अजहण्णुक्कोसगुणलुक्खाणंअजघन्योत्कृष्ट गुण रूक्ष। ..
भावार्थ - सिद्धों के दो भेद हैं, १. अनन्तरसिद्ध और २. परम्परसिद्ध। इनमें अनन्तरसिद्धों के तीर्थसिद्ध, अतीर्थसिद्ध आदि १५ भेद हैं। अब इनकी अपेक्षा वर्गणा का कथन किया जाता है - तीर्थसिद्धों की एक वर्गणा है। अतीर्थसिद्धों की एक वर्गणा है, इस प्रकार यावत् एकसिद्धों की एक वर्गणा है। अनेकसिद्धों की एक वर्गणा है। प्रथमसमयसिद्धों की एक वर्गणा है। इसी प्रकार द्वितीय समयसिद्ध तृतीय समयसिद्ध यावत् अनन्त समयसिद्ध जीवों की एक एक वर्गणा है। ० परमाणु पुद्गलों की एक वर्गणा है। इसी प्रकार द्विप्रादेशिक स्कन्ध, त्रिप्रादेशिक, चतुःप्रादेशिक, पंचप्रादेशिक, षट्प्रादेशिक, सप्तप्रादेशिक, अष्टप्रादेशिक, नवप्रादेशिक, दसप्रादेशिक, संख्यातप्रादेशिक, असंख्यात प्रादेशिक स्कन्ध यावत् अनन्तप्रादेशिक स्कन्धों की एक वर्गणा है। आकाश के एक प्रदेश का ही अवगाहन करके रहे हुए पुद्गलों की वर्गणा एक है यावत् * असंख्यात प्रदेशों का अवगाहन करके रहे हुए पुद्गलों की वर्गणा एक है। एक समय की स्थिति वाले पुद्गलों की वर्गणा एक है यावत् असंख्यात समय की स्थिति काले पुद्गलों की वर्गणा एक है। एक गुण वाले पुद्गलों की वर्गणा एक है यावत् असंख्यात गुण काले पुद्गलों की वर्गणा एक है. और अनन्तगुण काले पुद्गलों की वर्गणा एक है। इसी प्रकार पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और आठ स्पर्श इन बीस बोलों के पुद्गलों के विषय में कथन करना चाहिए यावत् अनन्त गुण रूक्ष पुद्गलों की वर्गणा एक है। दो अणु के स्कन्ध रूप जघन्य प्रदेश वाले स्कन्धों की वर्गणा एक है। उत्कृष्ट यानी अनन्त परमाणु प्रदेश वाले स्कन्धों की वर्गणा एक है। अजघन्योत्कृष्ट यानी मध्यम परमाणु प्रदेश वाले स्कन्धों की वर्गणा एक-एक है। इसी प्रकार जघन्य अवगाहना वाले, उत्कृष्ट अवगाहना वाले और अजघन्योत्कृष्ट यानी मध्यम अवगाहना वाले स्कन्धों की एक-एक वर्गणा है। इसी प्रकार जघन्य स्थिति वाले, उत्कृष्ट स्थिति वाले और अजघन्योत्कृष्ट यानी मध्यम स्थिति वाले पुद्गल स्कन्धों की एक वर्गणा है। इसी प्रकार जघन्य गुण काले वर्ण वाले, उत्कृष्ट गुण काले वर्ण वाले और अजघन्योत्कृष्ट यानी मध्यमगुण काले वर्ण वाले पुद्गल स्कन्धों की वर्गणा एक-एक है। इसी प्रकार पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाले पुद्गल स्कन्धों की वर्गणा के विषय में भी कहना चाहिए यावत् अजघन्योत्कृष्ट गुण रूक्ष पुद्गलों की वर्गणा एक है।
- ० पुद्गल का इतना सूक्ष्म अंश जिसके फिर दो विभाग न किये जा सकें वह परमाणु कहलाता है और पूरण गलन धर्म वाले पुद्गल कहलाते हैं ।
लोकाकाश के प्रदेश असंख्यात ही है, अनन्त नहीं, इसलिए यहां असंख्यात का बोल ही ग्रहण किया है।
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