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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
विवेचन - कृष्ण आदि छहों लेश्याओं का स्वरूप तथा जम्बू फल खादक (खाने वाला) और ग्राम घातक इन दृष्टातों का विवेचन आगे छठे स्थान में किया जाएगा।
एगा तित्थसिद्धाणं वग्गणा, एगा अतित्थसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव एगा एक्कसिद्धाणं वग्गणा, एगा अणिक्कसिद्धाणं वग्गणा, एगा पढमसमय सिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव अणंतसमय सिद्धाणं वग्गणा। एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा, एवं जाव एगा अणंतपएसियाणं खंधाणं वग्गणा। एगा एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव एगा असंखेजपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एगा एगसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव असंखेज्जसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एगा एगगुणकालगाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव एगा असंखेग्जगुणकालगाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा अणंतगुणकालगाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एवं वण्णा, गंधा, रसा, फासा भाणियव्वा जाव एगा अणंतगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एगा जहण्णपएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एगा उक्कोस पएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एगा अजहण्णुक्कोस पएसियाणं खंधाणं वग्गणा, एवं जहण्णोगाहणगाणं उक्कोसोगाहणगाणं अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं जहण्णठिइयाणं उक्कोसठिइयाणं अजहण्णुक्कोसठिइयाणं, जहण्णगुणकालगाणं उक्कोसगुणकालगाणं अजहण्णुक्कोसगुणकालगाणं एवं वण्णगंधरसफासाणं वग्गणा भाणियव्वा, जाव एगा अजहण्णुक्कोसगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा॥१०॥ ___ कठिन शब्दार्थ - तित्थसिद्धाणं - तीर्थ सिद्धों की, अतित्थसिद्धाणं - अतीर्थ सिद्धों की, अणिक्कसिद्धाणं - अनेक सिद्धों की, पढमसमयसिद्धाणं - प्रथम समय सिद्धों की, अणंतसमय सिद्धाणं - अनंत समय सिद्ध जीवों की, परमाणु पोग्गलाणं - परमाणु पुद्गलों की, अणंतपएसियाणं- अनंत प्रादेशिक, खंधाणं - स्कन्धों की, एगपएसोगाढाणं - एक प्रदेशावगाढआकाश के एक प्रदेश का ही अवगाहन करके रहे हुए, एगसमयठिइयाणं - एक समय की स्थिति वाले, असंखेजसमय-ठियाणं - असंख्यात समय की स्थिति वाले, एगगुणकालगाणं - एक गुण काले, अणंतगुणकालगाणं- अनन्त गुण काले, भाणियव्या - कथन करना चाहिये, अणंतगुणलुक्खाणं - अनन्त गुण रूक्ष, जहण्णपएसियाणं - जघन्य प्रदेश वाले, उक्कोसंपएसियाणंउत्कृष्ट प्रदेश वाले, अजहण्णुक्कोस-पएसियाणं - अजघन्योत्कृष्ट प्रदेश वाले, जहण्णोगाहणगाणंजघन्य अवगाहना वाले, उक्कोसोगाहणगाणं - उत्कृष्ट अवगाहना वाले, अजहण्णुक्कोसोगा
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