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श्री स्थानांग सूत्र
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अक्षेम और पीछे भी अक्षेम । चार प्रकार के मार्ग कहे गये हैं । यथा कोई एक मार्ग क्षेम यानी उपद्रव रहित और क्षेमरूप यानी स्वच्छ, कोई एक मार्ग क्षेम किन्तु अस्वच्छ, कोई एक मार्ग अक्षेम किन्तु स्वच्छ, कोई एक मार्ग अक्षेम और अस्वच्छ इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष क्षेम यानी अच्छे भाव वाला और क्षेमरूप यानी अच्छे वेश वाला जैसे साधु, कोई एक पुरुष अच्छे भाव वाला किन्तु अक्षेम यानी असुन्दर वेश वाला जैसे कारण से द्रव्य लिङ्ग रहित साधु, कोई एक पुरुष अक्षेम किन्तु क्षेम रूप वाला जैसे निह्नव, कोई एक पुरुष अक्षेम और अक्षेम रूप वाला जैसे अन्यतीर्थिक या गृहस्थ । चार प्रकार के शंख कहे गये हैं । यथा कोई एक शंख वाम यानी प्रतिकूल गुणों वाला अथवा बांई तरफ रखा हुआ और वाम आवर्त वाला, कोई एक शंख वाम किन्तु दक्षिणावर्त, कोई एक शंख दक्षिण यानी दक्षिण की तरफ रखा हुआ अथवा अनुकूल गुणों वाला - किन्तु वाम आवर्त वाला, कोई एक शंख दक्षिण की तरफ रखा हुआ अथवा अनुकूल गुणों वाला और दक्षिणावर्त वाला होता है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा कोई एक पुरुष स्वभाव से वाम यानी टेढ़ा और वामावर्त्त यानी विपरीत प्रवृत्ति करने वाला, कोई एक पुरुष स्वभाव से वाम किन्तु दक्षिणावर्त यानी अनुकूल प्रवृत्ति करने वाला, कोई एक पुरुष स्वभाव से अनुकूल किन्तु किसी कारण वश विपरीत प्रवृत्ति करने वाला, कोई एक पुरुष स्वभाव से अनुकूल और अनुकूल प्रवृत्ति करने वाला होता है ।
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चार प्रकार की धूम शिखाएं कही गई हैं । यथा कोई एक धूम शिखा बाईं तरफ होती है और उसका आवर्त्त भी बायां होता है । कोई एक धूम शिखा बाईं तरफ होती है किन्तु उसका आवर्त दाहिना होता है, कोई एक धूम शिखा दक्षिण की तरफ होती है किन्तु उसका आवर्त बायां होता है, कोई एक
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धूम शिखा दाहिनी तरफ होती है और उसका आवर्त्त भी दाहिना होता है । इसी तरह चार प्रकार की स्त्रियाँ कही गई हैं । यथा कोई एक स्त्री स्वभाव से वाम यानी मलिन स्वभाव वाली और वामावर्त्ता यानी विपरीत प्रवृत्ति करने वाली, कोई स्त्री मलिन स्वभाव वाली किन्तु अनुकूल प्रवृत्ति करने वाली, कोई एक स्त्री अच्छे स्वभाव वाली किन्तु विपरीत प्रवृत्ति करने वाली, कोई एक स्त्री अच्छे स्वभाव वाली और अनुकूल प्रवृत्ति करने वाली होती है । चार प्रकार की अग्नि शिखा कही गई है । यथा - कोई अग्निशिखा वाम यानी बाईं तरफ होती है और आवर्त भी वाम होता है । कोई एक अग्निशिखा वाम किन्तु दक्षिणावर्त वाली, कोई दाहिनी तरफ किन्तु वाम आवर्त्त वाली, कोई दाहिनी तरफ और दक्षिणावर्त वाली होती है । इसी तरह चार प्रकार की स्त्रियाँ कही गई हैं । यथा कोई एक स्त्री वाम यानी तेज स्वभाव वाली और वामावर्त्ता यानी विपरीत प्रवृत्ति करने वाली, कोई स्त्री तेज स्वभाव वाली किन्तु अनुकूल प्रवृत्ति करने वाली, कोई स्त्री शान्त स्वभाव वाली किन्तु विपरीत प्रवृत्ति करने वाली, कोई स्त्री शान्त स्वभाव वाली और अनुकूल प्रवृत्ति करने वाली होती है । चार प्रकार की वातमाण्डलिक
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