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स्थान ४ उद्देशक २
३१९ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता । एवामेव चत्तारि इत्थीओ पण्णत्ताओ तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता।
. चत्तारि वणसंडा पण्णत्ता तंजहा - वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा- वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते॥१५२॥
कठिन शब्दार्थ - अलमंथू - समर्थ, मग्गा - मार्ग, उज्जू- सरल, वंके - वक्र (टेढा) खेमे - क्षेम-उपद्रव रहित, खेमरूवे - क्षेम रूप-स्वच्छ, संवुक्का - शंख, वामे - वाम, वामावत्ते - वाम आवर्त वाला, दाहिणावत्ते - दक्षिणावर्त, धूमसिहाओ - धूम शिखाएं, अग्गिसिहाओ- अग्नि शिखाएं, वायमंडलिया - वातमाण्डलिक। .
भावार्थ - चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं। यथा - कोई एक पुरुष अपनी आत्मा को पाप से निवृत्त करने में समर्थ होता है किन्तु दूसरों को नहीं, कोई एक पुरुष दूसरों को पाप से हटाने में समर्थ - होता है किन्तु अपनी आत्मा को पाप से हटाने में समर्थ नहीं होता है, कोई एक पुरुष अपनी आत्मा को भी पाप से हटाने में समर्थ होता है और दूसरों को भी पाप से हटाने में समर्थ होता है, कोई एक पुरुष अपनी आत्मा को भी पाप से हटाने में समर्थ नहीं होता है और दूसरों को भी पाप से हटाने में समर्थ नहीं होता है।
चार प्रकार के मार्ग कहे गये हैं । यथा - कोई एक मार्ग आदि (प्रारम्भ) में सरल और अन्त में भी सरल, कोई एक मार्ग आदि में सरल किन्तु अन्त में वक्र यानी टेढ़ा, कोई एक मार्ग आदि (प्रारम्भ) में टेढ़ा और अन्त में सरल, कोई एक मार्ग आदि में भी टेढ़ा और अन्त में भी टेढ़ा । इसी प्रकार चार तरह के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष पहले सरल और पीछे भी सरल, कोई एक पुरुष पहले सरल किन्तु पीछे टेढ़ा, कोई एक पुरुष पहले टेढ़ा किन्तु पीछे सरल, कोई एक पुरुष पहले भी टेढ़ा और पीछे भी टेढ़ा । चार प्रकार के मार्ग कहे गये हैं । यथा - कोई एक मार्ग आदि में क्षेम यानी उपद्रव रहित और अन्त में भी क्षेम, कोई एक मार्ग आदि में क्षेम किन्तु अन्त में अक्षेम यानी उपद्रव सहित, कोई एक मार्ग आदि में क्षेम किन्तु अन्त में अक्षेम, कोई एक मार्ग आदि में अक्षेम किन्तु अन्त में क्षेम, कोई एक मार्ग आदि में भी अक्षेम और अन्त में भी अक्षेम । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं । यथा - कोई एक पुरुष पहले क्षेम (कल्याणकारी) और पीछे भी क्षेम, कोई एक पुरुष पहले क्षेम और पीछे अक्षेम, कोई एक पुरुष पहले अक्षेम किन्तु पीछे क्षेम, कोई एक पुरुष पहले भी
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