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________________ ३१८ श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 परस्स, परस्स णाममेगे अलमंथू भवइ णो अप्पणो, एगे अप्पणो वि अलमंथू भवइ परस्स वि, एगे णो अप्पणो अलमंथू भवइ णो परस्स। चत्तारि मग्गा पण्णत्ता तंजहा- उजू णाममेगे उज्जु, उज्जू णाममेगे वंके, वंके णाममेगे उजू, वंके णाममेगे वंके । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - उजू णाममेगे उजू, उजू णाममेगे वंके,वंके णाममेगे उजू, वंके णाममेगे वंके । चत्तारि मग्गा पण्णत्ता तंजहा - खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, अखेमे णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा- खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, अखेमे णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे । चत्तारि मग्गा पण्णत्ता तंजहा - खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे, अखेमे णाममेगे खेमरूवे, अखेमे णाममेगे अखेमरूवे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे, अखेमे णाममेगे खेमरूवे, अखेमे णाममेगे अखेमरूवे ।। चत्तारि संबुक्का पण्णत्ता तंजहा - वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते। . चत्तारि धूमसिहाओ पण्णत्ताओ तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता। एवामेव चत्तारि इत्थीओ पण्णत्ताओ तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता। चत्तारि अग्गिसिहाओ पण्णत्ताओ तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता । एवामेव चत्तारि इत्थीओ पण्णत्ताओ तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता । चत्तारि वायमंडलिया पण्णत्ता तंजहा - वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004186
Book TitleSthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size10 MB
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