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आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव पालइस्संति । जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एग समए एग जुगे दो अरिहंत वंसा उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा । एवं चक्कवट्टि वसा, दसार वंसा । जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एग समए दो अरिहंता उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा । एवं चक्कवट्टिणो, एवं बलदेवा, एवं वासुदेवा, जाव उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा । जंबूद्दीवे दीवे दो कुरासु मणुया सया सुसमसुसममुत्तममिडि पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति तंजहा देवकुराए चेव उत्तरकुराए चेव । जंबूद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसममुत्तममिद्धिं पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति तंजहा हरिवासे चेव रम्मयवासे चेव । जंबूद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदुसममुत्तममिद्धिं पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति तंजहा - हेमवए चेव एरण्णवए चेव । जंबूद्दीवे दीवे दोसु खित्तेसु मणुया सया दुसमसुसममुत्तममिद्धिं पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति तंजहा पुव्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव । जंबूहीवे दीवे दोसु वासेसु मणुवा छव्विहं वि कालं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति तंजहां- भरहे चेव एरवए चेव ॥ ३७ ॥
कठिन शब्दार्थ - तीताए अतीत, सुसम दूसमाए सुषम दुष्षम नामक चौथा, समाए आरा, दो सागरोवमकोडाकोडीओ - दो कोडाकोडी (कोटाकोटि) सागरोपम का, होत्था - हुआ था, आगमिस्साए - आगामी, उड्डुं उच्चत्तेणं - ऊंचाई, गाउयाई कोस की, परमाउं - पूर्ण आयु का, पालइत्था - पालन करते थे, एगजुगे एक युग में, अरिहंत वंसा - अरिहंतों के वंश, उप्पज्जिंसु - उत्पन्न हुए थे, उप्पनंति उत्पन्न होते हैं, उप्पज्जिस्संति उत्पन्न होंगे, चक्कवट्टि वसा चक्रवर्तियों के वंश, दसार वंसा - दसार ( वासुदेवों) के वंश, सुसमसुसमं सुषमसुषम नामक पहले आरे जैसी, उत्तमं - उत्तम, इड्डि - ऋद्धि को, पत्ता प्राप्त करके, पच्चणुब्भवमाणा अनुभव करते हुए, विहरंति- विचरते हैं, सुसमं सुषम नामक दूसरे आरे की, अवरविदेहे - अपर (पश्चिम) विदेह | भावार्थ - इस जम्बूद्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्रों में अतीत उत्सर्पिणी काल में सुषमदुष्षम नामक चौथा आरा दो कोडाकोडी सागरोपम का हुआ था । इसी प्रकार इस वर्तमान अवसर्पिणी काल का सुषमदुष्षम नामक तीसरा आरा यावत् दो कोडाकोडी सागरोपम का कहा गया है। इसी प्रकार आगामी उत्सर्पिणी काल का सुषमदुष्षम नामक चौथा आरा यावत् दो कोंडाकोडी सागरोपम का होगा। इस जम्बूद्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्रों में अतीत उत्सर्पिणी में सुषमा नामक पांचवें आरे में मनुष्यों की ऊंचाई दो गाउ यानी कोस की थी और वे मनुष्य दो पल्योपम पूर्ण आयु का पालन करते
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स्थान २ उद्देशक ३
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