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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 है। रुप्यकूला नदी महापुंडरीक द्रह के उत्तर दिशा के तोरण से निकल कर हैरण्यवत क्षेत्र के दो विभाग करती हुई रोहित नदी की वक्तव्यता के अनुसार पश्चिम समुद्र में गिरती है।
प्रपात यानी गिरना, नदी जिस कुण्ड में गिरती है वह प्रपात द्रह (प्रपात कुण्ड) कहलाते हैं। हिमवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर रहे पद्म द्रह के पूर्व दिशा के तोरण से निकल कर पूर्व दिशा सन्मुख ५०० योजन जाकर गंगावर्तन कूट में पुनः मुडती हुई ५२३ योजन और ३॥ कला तक दक्षिण दिशा सन्मुख पर्वत पर जाकर गंगा महानदी लम्बाई से अर्द्ध योजन प्रमाण चौडाई से ६। योजन वाली जाडाई से आधे गाऊ वाली जीभिका युक्त ऐसे मुंह फाडे हुए मगर के समान प्रवाह से १ योजन । प्रमाण वाले और मोती के हार के जैसे प्रपात (ऊंचे से गिरना) से गंगाप्रपात कुंड में गिरती है वह कुण्ड ६० योजन लम्बा और चौड़ा कुछ कम १९० योजन की परिधि वाला दस योजन ऊंचा और विविध मणियों से बंधा हुआ है। उस कुंड के पूर्व पश्चिम और दक्षिण दिशा में तीन तीन पगथियाँ (सोपान) दर्शनीय है जो विविध तोरणों से युक्त है। मध्य भाग में गंगा देवी का द्वीप है। गंगा प्रपात कुण्ड से दक्षिण दिशा के तोरण से निकल कर प्रवाह में (निकलते समय) ६। योजन चौडी आधे । कोस ऊंडी गंगा नदी उत्तरार्द्ध भरत के दो भाग करती हुई ७००० नदियों से मिल कर खंड प्रपात : गुफा के पूर्व भाग से नीचे वैताढ्य पर्वत को भेद कर दक्षिणार्द्ध भरत के दो विभाग करती हुई १४००० नदियों (७ हजार उत्तरार्द्ध भरत की व ७००० दक्षिणार्द्ध भरत की) के साथ प्रवेश स्थल में ६२॥ योजन चौडी और १। योजन ऊंडी ऐसी जगती का भेदन करती हुई पूर्व के लवण समुद्र में प्रवेश करती है। गंगा प्रपात द्रह के समान सिंधु प्रपात द्रह का वर्णन जानना चाहिये। दूसरा स्थान होने से इसी प्रकार हिमवत् हरिदर्ष, महाविदेह रम्यक् वर्ष, हेरण्यवत ऐरवत क्षेत्र के दो-दो प्रपात द्रह कहे गये हैं। मेरु पर्वत की दक्षिण दिशा में सात महानदियाँ बहती हैं - गंगा, सिन्धु, रोहितांशा, रोहिता हरिकांता, हरिसलिता, सीतोदा। मेरु पर्वत की उत्तर दिशा में सात महानदियाँ बहती है - सीता, नारीकाता, नरकान्ता, रुप्यकूला, सुवर्णकूला, रक्ता, रक्तवती। पद्म और पोंडरीक द्रह से ३-३ महानदियाँ निकलती है शेष द्रहों से दो-दो महानदियाँ निकलती है। जम्बूद्वीप में कुल १४ महानदियाँ है। विशेष वर्णन जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र से जानना चाहिये।
जंबूहीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्था। एवं इमीसे ओसप्पिणीए जाव पण्णत्ते। एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सइ। जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाइं उड्डे उच्चत्तेणं होत्था, दोण्णि य पलिओवमाइं परमाउं पालइत्था। एवं इमीसे ओसप्पिणीए जाव पालइत्था। एवं
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